लोकपाल में जांच निदेशक की नियुक्ति लंबित
लोकपाल से प्राप्त शिकायतों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा निदेशक की नियुक्ति नहीं हो पाई है ।
लोकपाल, लोकपाल अधिनियम 2013 के तहत परिभाषित लोक सेवकों के विरुद्ध शिकायतों की जांच करने के लिए एक राष्ट्रीय भ्रष्टाचार-रोधी ओम्बुड्समैन है।
अधिनियम के अनुसार, एक जांच निदेशक की नियुक्ति की जाएगी। यह निदेशक संयुक्त सचिव की रैक से नीचे का अधिकारी नहीं होगा, तथा इसे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा । यह लोकपाल द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को निर्दिष्ट प्रारंभिक जांच के कर्तव्य का निर्वहन करेगा।
यद्यपि लोकपाल वर्ष 2019 में अस्तित्व में आया था, किंतु अभी तक जांच निदेशक की नियुक्ति नहीं की गई हालांकि, CVC को प्रारंभिक जांच आरंभ करने के लिए मामले/शिकायतें प्राप्त हो रही हैं।
लोकपाल अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएं
- लोकपाल का अधिकार क्षेत्रः इसमें प्रधान मंत्री, मंत्री,संसद सदस्य और क, ख, ग एवं घ समूह के अधिकारी शामिल होंगे।
- लोकपाल एक अध्यक्ष सहित अधिकतम 8 सदस्यों वालानिकाय है जिसमें 4 न्यायिक सदस्य होंगे।शेष 4 सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होंगे।
चयन समितिः इस समिति में प्रधान मंत्री, लोकसभा काअध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष का नेता, भारत का मुख्य न्यायाधीश (CJI) या CJI द्वारा नाम निर्दिष्ट उच्चतम न्यायालय का एक वर्तमान न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा नाम निर्दिष्ट एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होंगे।
स्रोत – द हिन्दू