लोकपाल की कार्यप्रणाली में दक्षता की कमी
हाल ही में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय समिति ने कहा है कि, लोकपाल की कार्यप्रणाली में दक्षता की कमी है।
समिति की मुख्य टिप्पणियां –
- लोकपाल के पास दर्ज केवल तीन शिकायतों की पूरी जांच की गई है। लगभग 90% शिकायतें निर्धारित प्रारूप में नहीं थीं ।
- इसने लोक सेवकों के विरुद्ध दायर भ्रष्टाचार संबंधी 68% शिकायतों का बिना किसी कार्रवाई के निपटान कर दिया ।
- इसने आज तक भ्रष्टाचार के आरोपी एक भी व्यक्ति पर अभियोजन नहीं चलाया है।
- अध्यक्ष का पद लगभग 10 महीने से रिक्त था । यह लोकपाल अधिनियम, 2013 के निर्देशों के खिलाफ है।
- समिति ने यह भी नोट किया है कि संगठन में लगभग 50 पद रिक्त हैं ।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें
- केवल तकनीकी आधारों पर और शिकायतों के प्रारूप में नहीं होने के कारणों के आधार पर भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों को खारिज नहीं किया जाना चाहिए ।
- भ्रष्टाचार की शिकायतों का कर्मठतापूर्वक निपटान करना चाहिए । साथ ही, देश के भीतर भ्रष्टाचार -रोधी परिदृश्य को मजबूत किया जाना चाहिए।
- लोकपाल में नियुक्तियों में देरी को कम करने की आवश्यकता है।
लोकपाल के बारे में
- लोकपाल अधिनियम, 2013 के तहत भ्रष्टाचार – रोधी ओम्बुड्समैन की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। इसे केंद्र में लोकपाल और राज्य स्तर पर लोकायुक्त कहा जाता है।
- लोकपाल संस्था में एक अध्यक्ष और अधिकतम 8 सदस्य होते हैं ।
- यह प्रधान मंत्री सहित लोक सेवकों के सभी वर्गों पर भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच कर सकता है।
- सशस्त्र बल लोकपाल के दायरे में नहीं आते हैं।
स्रोत – इकोनॉमिक्स टाइम्स