महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, निषेध और रोकथाम) अधिनियम, 2013
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के आधे से अधिक खेल संघों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की अनुपस्थिति चिंताजनक है।
महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, निषेध और रोकथाम) अधिनियम, 2013 के अंतर्गत किसी भी शिकायत के लिए प्रथम स्तर के रूप में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का प्रावधान किया गया है।
इसे केवल लैंगिक उत्पीड़न का निवारण अधिनियम (POSH अधिनियम) भी कहा जाता है ।
10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक निजी या सार्वजनिक संगठन में एक ICC को अनिवार्य किया गया है ।इसमें कम-से-कम चार सदस्य होने चाहिए।
गैर-सरकारी संगठनों या संगमों में से एक सदस्य को नामनिर्देशित किया जाएगा। नामनिर्देशित कुल सदस्यों में से कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होंगी । POSH अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ लैंगिक उत्पीड़न के कृत्यों को रोकने, प्रतिबंधित करने और उनका निवारण करने पर केंद्रित है।
इससे कार्यस्थलों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाया जा सकता है। यह अधिनियम 1997 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विशाखा दिशा-निर्देशों पर आधारित है ।
POSH अधिनियम की अन्य प्रमुख विशेषताएं
- यह कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न को परिभाषित करता है। साथ ही, शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र का उपबंध करता है ।
- पीड़ित महिला की व्यापक परिभाषा तय की गई है। इसके दायरे में सभी पीड़ित महिलाओं को शामिल किया गया है, भले ही उनकी आयु या रोजगार की स्थिति कुछ भी हो तथा चाहे वे संगठित या असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हों या सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में । इसके अलावा क्लाइंट, कस्टमर और घरेलू सेवकों को भी शामिल किया गया है।
- 10 से कम कर्मचारियों वाले संगठनों या स्वयं नियोक्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा स्थानीय समिति का गठन किया जाएगा।
- प्रशासन की ज़िम्मेदारी: राज्य सरकार हर ज़िले में जिला अधिकारी को अधिसूचित करेगी, जो एक स्थानीय शिकायत समिति ( Local Complaints Committee- LCC) का गठन करेगा ताकि असंगठित क्षेत्र या छोटे प्रतिष्ठानों में महिलाओं को यौन उत्पीड़न से मुक्त वातावरण में कार्य करने में सक्षम बनाया जा सके।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस