‘विश्व आर्थिक मंच’ द्वारा लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2023 जारी
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2023 (Gender Gap Report, 2023) जारी की है।
सूचकांक के मुख्य निष्कर्ष
लैंगिक समानता के मामले में भारत 146 देशों में से 127वें स्थान पर है। पिछले साल से आठ स्थानों का सुधार हुआ है।
रिपोर्ट के 2022 संस्करण में भारत 135वें स्थान पर था। पिछले संस्करण के बाद से देश में 1.4 प्रतिशत पॉइंट और आठ स्थानों का सुधार हुआ है, जो कि 2020 के समता स्तर की ओर आंशिक सुधार दर्शाता है।
भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर नामांकन में समानता हासिल कर ली है।
भारत ने 64.3% समग्र लैंगिक अंतराल को कम कर दिया है। हालाँकि, यह रेखांकित किया गया कि भारत आर्थिक भागीदारी और अवसर पर केवल 36.7% समानता स्तर तक पहुँच पाया है।
सूचकांक में भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को 142वें, बांग्लादेश को 59वें, चीन को 107वें, नेपाल को 116वें श्रीलंका को 115वें और भूटान को 103वें स्थान पर रखा गया है।
वर्ष 2023 ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के अनुसार किसी भी देश ने अभी तक पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं की है, हालांकि शीर्ष नौ देशों (आइसलैंड, नॉर्वे, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, स्वीडन, जर्मनी, निकारागुआ, नामीबिया और लिथुआनिया) ने अपने कम से कम 80% लैंगिक अंतराल को पाट लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक लैंगिक अंतराल को कम करने की वर्तमान दर से पूर्ण लैंगिक समता तक पहुंचने में 131 वर्ष लगेंगे।
लगातार 14वें वर्ष, आइसलैंड (91.2%) शीर्ष स्थान पर है। यह एकमात्र ऐसा देश बना हुआ है जिसने अपने लैंगिक असमानता यानी अंतराल के स्तर को 90% से अधिक कम कर लिया है। वैश्विक शीर्ष पांच में तीन अन्य नॉर्डिक देश शामिल हैं- नॉर्वे (87.9%, दूसरा ), फिनलैंड (86.3%, तीसरा) और स्वीडन (81.5%, 5वां) – पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र का एक देश – न्यूजीलैंड (85.6) %, 4थे) स्थान पर है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में, जबकि वेतन और आय में समानता में बढ़ोतरी हुई है, वरिष्ठ पदों और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी पिछली रिजरत के बाद से थोड़ी कम हो गई है।
राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में भारत ने 25.3% समानता दर्ज की है, जिसमें 15.1% सांसदों का प्रतिनिधित्व महिलाएँ करती हैं। यह 2006 में जारी प्रथम लैंगिक अंतराल रिपोर्ट के बाद से देश के लिए सबसे अधिक है।
विदित हो कि ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स सालाना चार प्रमुख आयामों (आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षणिक लब्धि, स्वास्थ्य और उत्तरजीविता, और राजनीतिक सशक्तिकरण) में लैंगिक समानता की वर्तमान स्थिति और विकास को मापता है।
स्रोत – द हिन्दू