लेटे हुए बुद्ध (The Reclining Buddha)
26 मई को बुद्ध जयंती के अवसर पर, बोधगया के ‘बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय कल्याण मिशन मंदिर’ में भारत में सबसे बड़ी लेटे हुए बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की जानी थी, लेकिन इस समारोह को COVID-19 महामारी की वजह से स्थगित कर दिया गया है।
लेटे हुए बुद्ध की मूर्ति से अभिप्राय
- लेटे हुए बुद्ध (Reclining Buddha) की इस मुद्रा से हमें बुद्ध के बीमार होने एवं उनके अंतिम दौर तथा परिनिर्वाण के पूर्व की स्थिति का पता चलताहै।
- ‘परिनिर्वाण’ मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करने की स्थिति होती है, यह अवस्था केवल प्रबुद्ध आत्माओं को ही प्राप्त होती है।
- विदित हो कि बिहार की सीमा से लगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में, ध्यानवस्था के दौरान80 वर्ष की आयु मेंबुद्ध की मृत्यु हो गई थी ।
बुद्ध मूर्तिकला शैली:
- सर्वप्रथम ‘गांधार कला’में ‘लेटे हुए बुद्ध’ को चित्रित किया गया था।इस मूर्तिकला शैली का समय 50 ईसा पूर्व और 75 ईस्वी के बीच मध्य जाता है, और यह कुषाण काल के समय, पहली से पांचवीं शताब्दी ईस्वी में अपने चरम पर थी।
- ‘लेटे हुए बुद्ध’ की मूर्तियों में उन्हें अपनी दाहिनी ओर लेटे हुए दिखाया जाता है।इसमे उनका सिर एक तकिए या उनकी दाहिनी कोहनी पर टिका हुआ होता है।
- यह मुद्रा बताती है कि,सभी प्राणियों में प्रबुद्ध होने और मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होने की शक्तिहोती है।
लेटे हुए बुद्ध की भारत के बाहर स्थापित मूर्तियाँ:
- लेटे हुए बुद्ध की मुद्राएं थाईलैंड और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में अधिक प्रचलित हैं। संसार में लेटे हुए बुद्ध की सबसे बड़ी प्रतिमा ‘विनसेन ताव्या बुद्ध’ (Winsein Tawya Buddha) है।यह प्रतिमा 600 फुट लंबी है, इसको वर्ष 1992 में म्यांमार के ‘मावलमाइन’ (Mawlamyine) में निर्मित किया गया था।
- दूसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व में निर्मित पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित, ‘भामला बुद्ध परिनिर्वाण’ को दुनिया सबसे पुरानी मूर्ति माना जाता है।
भारत में लेटे हुए बुद्ध:
- अजंता की गुफा संख्या 26 में, लेटे हुए बुद्ध की एक 24 फुट लंबी और नौ फुट ऊँची एक मूर्ति है।इसको 5 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था।विदित हो कि अजंता की गुफाओं को ‘यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल’ सूची में शामिल किया गया है ।
- बुद्ध के परिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में परिनिर्वाण स्तूप के भीतर बुद्ध की 6 मीटर लंबी, लाल बलुआ पत्थर की एकाश्म मूर्ति स्थापित है।
भारत में बुद्ध का अन्य मुद्राएँ
- भूमि-स्पर्श मुद्रा:महाबोधि मंदिर मेबुद्ध ‘भूमि-स्पर्श मुद्रा’ में बैठे हैं, इस मुद्रा में बुद्ध काहाथ जमीन की ओर झुका होताहै। यह मुद्रा पृथ्वी को उनके ज्ञानोदय की साक्षी के रूप में दर्शाती है।
- धर्म-चक्र मुद्रा :सारनाथ में, जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, बुद्ध की हाथ से संकेत करती हुई एक पाषाण-प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में दिखाई गई मुद्रा को धर्म-चक्र मुद्रा कहा जाता है, जो उपदेश का प्रतीक है।
- टहलते हुए बुद्ध: यह मुद्रा बुद्ध की सभी मुद्राओं में यह सबसे कम प्रचलित हैऔर ज्यादातर थाईलैंड में देखी जाती है।इस मुद्रा की प्रतिमा उनके आत्मज्ञान की ओर यात्रा शुरू करने या उपदेश देकर लौटने को दर्शाती है।
स्रोत – द हिन्दू