‘लुडविगिया पेरुवियाना’ खरपतवार से तमिलनाडु में हाथियों के आवास स्थान को खतरा
लुडविगिया पेरुवियाना (Ludwigia Peruviana) नामक एक घास तमिलनाडु के वलपराई में हाथियों के हैबिटेट और चारागाह क्षेत्रों के लिये खतरा उत्पन्न कर रहा है।
लुडविगिया पेरुवियाना (Ludwigia Peruviana) नामक यह हानिकारक खरपतवार (aquatic weed) पेरू सहित मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों में पाया जाता है
लुडविगिया पेरुवियाना, जिसे प्रिमरोज़ विलो (Primrose Willow) के नाम से भी जाना जाता है ।इसे इसके छोटे पीले फूलों के लिए एक सजावटी पौधे के रूप में भारत में लाया गया
यह अपेक्षाकृत लंबा होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 12 फीट तक होती है। यह कई अन्य हानिकारक खरपतवारों की तुलना में तीव्रता से बढ़ता है, साथ ही प्री-मानसून तापमान एवं मानसूनी बारिश इसके तीव्रता से बढ़ने और विस्तृत होने में सहायता करती है।
विदित हो कि वलपराई तमिलनाडु में केरल सीमा के करीब एक हिल स्टेशन है।
यह हिल स्टेशन के अधिकांश दलदलों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया है। इन दलदली भूमि को स्थानीय रूप से वायल (vayal) कहा जाता है, जहां हाथियों को गर्मियों में भी हरी-भरी घास मिलती थी।
वन विभाग का कहना है कि इनमें से अधिकतर दलदल निजी संपदा में स्थित हैं, जो खरपतवार हटाने की पेचीदा प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार हैं।
हाथियों तथा वन्य जीवन और जैवविविधता पर प्रभाव
खरपतवार के तेजी से बड़े पैमाने पर फैलने से इन बारहमासी चारागाहों के संतुलन को बिगाड़ दिया है, जिससे घास और देशी पौधों की वृद्धि सीमित हो गई है जो हाथियों और गौर सहित अन्य जानवरों के लिए स्वादिष्ट हैं ।
इस आक्रामक खरपतवार के फैलने से क्षेत्रों की समग्र जैवविविधता पर भी प्रभाव पड़ता है, जिससे देशी पौधों की प्रजातियाँ नष्ट हो जाती हैं, साथ ही संभावित रूप से वन्यजीवों को अन्य क्षेत्रों में जाने के लिये मजबूर होना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष भी होता है।
स्रोत – द हिन्दू