अरुणाचल प्रदेश में ‘लिसु व्रेन बैबलर ‘ पक्षी की खोज
- हाल ही में पक्षी विशेषज्ञों द्वारा अरुणाचल प्रदेश में एक नए सॉन्गबर्ड की खोज की गई है। इसका नाम उन्होंने राज्य के लिसु समुदाय के नाम पर ‘लिसु व्रेन बैबलर’ रखा है।
व्रेन बैबलर के बारे में:
- इस पक्षी का उदर (belly) भाग सफेद रंग का होता है । इसका स्वर नागा व्रेन बैबलर के समान है।
- छोटे एशियाई पक्षियों की लगभग 20 प्रजातियां बैबलर परिवार से संबंधित हैं।
- प्रमुख उदाहरणों में धूसर रंग के उदर वाला रेन बैबलर, लंबी पूंछ वाला व्रेन बैबलर आदि शामिल हैं।
- यह पक्षी 10-15 सेंटीमीटर लंबा और छोटी पूंछ वाला होता है। इसकी चोंच छोटी और सीधी होती है। यह मुख्यतः दक्षिण एशिया में पाया जाता है
लिसु समुदाय
- लिसु, एक टिबेटो-बर्मन जातीय समूह है जो म्यांमार (बर्मा), दक्षिण-पश्चिम चीन, थाईलैंड और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता है ।
- इनके घर लकड़ी और बांस के होते हैं और ये पहाड़ी चावल एवं मक्का की खेती करते हैं।
- भारत में लिसु लोगों को “योबिन” कहा जाता है।
- 1980 के दशक की शुरुआत में, भारत में रहने वाले लिसु लोगों के पास भारतीय नागरिकता नहीं थी, क्योंकि उन्हें म्यांमार से आये शरणार्थी माना जाता था। 1994 में, इन्हें भारतीय नागरिकता दी गई।
- लिसु अपना इतिहास, गीतों के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित करते हैं।
स्रोत – द हिन्दू