हाल ही में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) में पहली बार न्यूट्रिनो का पता चला है।
न्यूट्रिनो सूक्ष्म, उदासीन व प्रारंभिक कण होते हैं, जो दुर्बल बल के माध्यम से पदार्थ के साथ परस्पर क्रिया करते हैं।
इस बल की दुर्बलता न्यूट्रिनो को वह गुण प्रदान करती है, जिससे उनके लिए पदार्थ लगभग पारदर्शी हो जाता है। न्यूट्रिनो, लेप्टन कुल से संबंधित होते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं। इनमें, एक इलेक्ट्रॉन से जुड़ा होता है और अन्य म्यूऑन (muon) और ताऊ (Tau) से संबद्ध होते हैं।
ध्यातव्य है कि सूर्य और अन्य सभी तारे, नाभिकीय संलयन एवं उनके कोर में क्षय प्रक्रियाओं के कारण प्रचुर मात्रा में न्यूट्रिनो का उत्पादन करते हैं।
कभी-कभार ही अंतक्रिया करने के कारण न्यूट्रिनो, सूर्य और पृथ्वी से बिना अवरोध के गुजरने में सक्षम होते हैं।
न्यूट्रिनो का पता लगाने का महत्व
- न्यूट्रिनो के अध्ययन से ब्रह्मांड की उत्पत्ति और तारों में ऊर्जा उत्पादन से संबंधित जानकारी मिल सकती है।
- पृथ्वी के भीतरी भाग (कोर) से आगे बढ़ते हुए इसकी संरचना की विस्तृत जांच में न्यूट्रिनो का संभावित अनुप्रयोग हो सकता है।
- LHC के शोधकर्ता डार्क फोटॉन का पता लगाने की उम्मीद भी कर रहे हैं, जो इस समय काल्पनिक हैं।
- डार्क फोटॉन यह जांच करने में मदद करेंगे कि डार्क मैटर सामान्य परमाणुओं और ब्रह्मांड के अन्य पदार्थों के साथ कैसे अंतर्किया करता है।
- हाल ही में, भारत ने भी तमिलनाडु के थेनी जिले में बोदी वेस्ट हिल्स में न्यूट्रिनो वेधशाला स्थापित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
LHC के बारे में
- यह सर्न (CERN), यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च में विश्व का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली कण त्वरक है।
- यह कणों को प्रकाश की गति के 99 प्रतिशत तक गति प्रदान करने और उन्हें एक-दूसरे से टकराने में सक्षम है।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2012 में, LHC के शोधकर्ताओं ने हिग्स बोसोन की खोज की घोषणा की थी।
स्रोत – द हिंदू