लाचित बोड़फुकन

लाचित बोड़फुकन

हाल ही में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा ‘असमिया राष्ट्रवाद के प्रतीक एवं अहोम साम्राज्य’  के सेनापति ‘लाचित बोड़फुकन’ की 400 वीं जयंती समारोह का उद्घाटन किया गया। विदित हो कि यह समारोह वर्ष भर जारी रहेगा।

कौन थे लाचित बोड़फुकन?

  • असम के अहोम साम्राज्य में ‘लाचित बोड़फुकन’ उसके एक सेनापति थे। इन्हें वर्ष 1671 में हुए सराई घाट के प्रसिद्ध युद्ध के लिए याद किया जाता है, इसमें उन्होंने रामसिंह प्रथम के नेतृत्व में मुगल सेना द्वारा अहोम साम्राज्य पर कब्जा होने से बचाया था।
  • ‘सराई घाट’ का युद्ध गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र के तट पर लड़ा गया था। सन् 1671 में जब सराईघाट की लड़ाई के अंतिम चरण के दौरान, जब मुगलों ने सराईघाट में नदी से अहोम की सेना पर हमला किया, तो कई अहोम सैनिकों की हिम्मत टूट गयी। ऐसे में सेनापति लाचित ने सभी सैनिकों का मनोबल बढाया और उन्हें अंतिम सांस तक लड़ने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप मुगलों की जबरदस्त हार हुई।

अलाबोई की लड़ाई:

  • ‘अलाबोई की लड़ाई’ अहोम साम्राज्य और मुगलों के मध्य 5 अगस्त, 1669 में लड़ी गई थी। इस युद्ध में अहोम साम्राज्य को गंभीर पराजय का सामना करना पड़ा था और उनके हजारों सैनिक मारे गए थे।
  • विदित हो कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) द्वारा प्रतिवर्ष 1999 से सर्वश्रेष्ठ कैडेट को ‘लाचित बोड़फुकन’ स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता है।

स्रोत द हिन्दू

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