लाइट हाउस प्रोजेक्ट (Light House Project)
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट (एलएपी) की नींव रखी। उन्होंने वैश्विक आवासीय प्रौद्योगिकी चुनौती / ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया के तहत लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स एलएपी की आधारशिला रखेंगे।
- लाइट हाउस प्रोजेक्ट केंद्रीय शहरी मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत लोगों को स्थानीय जलवायु और इकोलॉजी का ध्यान रखते हुए टिकाऊ आवास प्रदान किए जाते हैं।
- लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए देश भर से 6 राज्यों को चुना गया है, उनमें त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु शामिल हैं।
क्या है विशिष्टता?
- इस प्रोजेक्ट में खास तकनीक का इस्तेमाल कर सस्ते और मजबूत मकान बनाए जाते हैं।
इस प्रोजेक्ट में फैक्टरी से ही बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर घर बनाने के स्थान पर लाया जाता है, इसका फायदा ये होता है कि निर्माण की अवधि और लागत कम हो जाती है,इसलिए प्रोजेक्ट में खर्च कम आता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में डिजिटलीकरण के परिमाण और डिजिटल/कैशलेस भुगतान की स्थिति व नवोन्मेष का आकलन करने के लिये डिजिटल भुगतान सूचकांक के ड्राफ्ट का निर्माण किया है। इस ड्राफ्ट को भारतीय रिज़र्व बैंक मार्च, 2021 से अर्धवार्षिक आधार पर डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स के रूप में प्रकाशित करेगा।
- रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक टी. रवि शंकर ने कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि इसकी प्रति व्यक्ति पैठ अभी भी काफी कम है।
- इस इंडेक्स से सरकार को डिजिटल डिस्टेंस एवं डिजिटल/कैशलेस भुगतान कीखामियों को दूर करने में सहयोग मिलेगा।
लाइट हाउस प्रोजेक्ट के मुख्य बिंदु
- भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स का आधार वर्ष 2018 निर्धारित किया है
- वर्ष 2019 के लिए डिजिटल भुगतान सूचकांक 153.47 था और 2020 के लिए 207.84 था।
डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स के पैरामीटर
डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स के निर्माण में पाँच व्यापक पैरामीटर को शामिल किया गया है, जो देश में विभिन्न समयावधि में हुए डिजिटल भुगतान का सही अध्ययन करने में सक्षम होंगे। ये इस प्रकार हैं :
- भुगतान एनेबलर्स (25%)
- भुगतान अवसंरचना – मांग पक्ष कारक (10%)
- भुगतान अवसंरचना – आपूर्ति पक्ष कारक (15%)
- भुगतान प्रदर्शन (45%)
- उपभोक्ता केंद्रित (5%)
डेटा विश्लेषण :
- विश्वव्यापी भारत डिजिटल पेमेंट्स रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (Q2) के दौरान यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) भुगतानों की मात्रा में 82% की वृद्धि तथा कुल कीमतों में 99% की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में अधिक है।
- दूसरी तिमाही में 19 बैंक यूपीआई प्रणाली में शामिल हो गए, जिससे सितंबर, 2020 तक यूपीआई सेवा प्रदान करने वाले बैंकों की कुल संख्या 174 हो गई, जबकि भीम एप द्वारा 146 बैंकों के ग्राहकों को सेवा उपलब्ध कराई जा रही थी।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में मर्चेंट एक्वाइरिंग बैंकों द्वारा तैनात किये गए पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल की संख्या 51.8 लाख से अधिक थी, जो कि पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।
- मर्चेंट एक्वाइरिंग बैंक वे बैंक होते हैं, जो एक व्यापारी/मर्चेंट की ओर से भुगतान को संचालित करते हैं।
- वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक द्वारा भारत को उन 24 देशों में सातवाँ स्थान दिया गया था, जहाँ संस्थान द्वारा डिजिटल भुगतान को ट्रैक किया जाता है।
डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स की आवश्यकता
भारत में डिजिटल भुगतानों में काफी तेजी देखी गयी है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के अनुसार, दिसंबर, 2020 में लगभग 4.16 लाख करोड़ रुपये के 223 करोड़ रुपये के लेन-देन किए गए, जबकि नवंबर, 2020 में 3.9 लाख करोड़ रुपये के 221 करोड़ रुपये के लेन-देन किये गये थे। देश में डिजिटल लेन-देन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसलिए, इसके विकास को मापना और विकास का समर्थन करने के लिए संबंधित पहलों को लॉन्च करना आवश्यक है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित अन्य सर्वेक्षण/रिपोर्ट्स
- उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (CCC- त्रैमासिक)
- परिवार संबंधी मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण (IES- त्रैमासिक)
- वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (अर्द्ध-वार्षिक)
- मौद्रिक नीति रिपोर्ट (अर्द्ध-वार्षिक)
- विदेशी मुद्रा भंडार की प्रबंधन रिपोर्ट (अर्द्ध-वार्षिक)
स्रोत –द हिन्दू