विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में ‘लर्निंग लॉसेस शोध–पत्र‘ पर चर्चा
हाल ही में, वित्त मंत्री ने “लर्निंग लॉसेस : व्हाट टू डू अबाउट द हैवी कॉस्ट ऑफ कोविड ऑन चिल्ड्रन, यूथ एंड फ्यूचर प्रोडक्टिविटी” शीर्षक वाले एक शोध-पत्र पर चर्चा में भाग लिया।
स्कूलों के बंद होने के कारण हुआ लर्निंग लॉस (अधिगम क्षति) कोविड-19 रिकवरी के समक्ष सबसे बड़े वैश्विक खतरों में से एक है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNNICEF) के अनुसार, इस प्रकार के लर्निंग लॉस से छात्रों की इस पीढ़ी को जीवन भर की कमाई में करीब 17 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
भारत में, वर्ष 2021 के राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण के अनुसार, छात्रों का औसत प्रदर्शन वर्ष 2017 की तुलना में 9% तक गिर गया है।
इसके अलावा, डिजिटल उपकरणों तक सीमित पहुंच तथा कनेक्टिविटी की कमी ने भी दूरस्थ शिक्षा को गंभीर रूप से बाधित किया है।
लर्निंग लॉस से उबरने के लिए भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम
- भारत ने कक्षा 3 के छात्रों के लिए नेशनल फाउंडेशन लर्निंग स्टडी की शुरुआत की है। यह ग्लोबल प्रोफिशिएंसी फ्रेमवर्क पर आधारित है।
- टीच एट द राइट लेवलः इसके अंतर्गत बच्चों को उनकी आयु या कक्षा की बजाय सीखने की जरूरतों के आधार पर निर्देशात्मक समूहों में विभाजित किया जाता है।
- वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडरः इसमें पाठ्यक्रम-आधारित सीखने के परिणामों को शामिल करने वाली सप्ताह-वार योजनाएं सम्मिलित हैं।
- दीक्षा (DIKSHA): इसे भारत ने 12 डिजिटल ग्लोबल गुड्स में से एक के रूप में चिन्हित किया है। यह प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को क्यूआर कोड आधारित पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाता है।
- स्वयंसेवकों को स्कूलों से जोड़ने के लिए ‘विद्यांजलि 0’ पहल तथा एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के लिए ‘निष्ठा’ पहल शुरू की गई है।
स्रोत – द हिन्दू