लघु वन उपज (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना
यह एक केन्द्रीय प्रायोजित योजना है जो 2013 से लागू है। इस योजना का उद्देश्य लघु वन उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराना तथा इन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से एक वैल्यू चैन विकसित करना है।
यह योजना मूल तः लघु वन उपज का उत्पादन करने वालों अधिकांशतः आदिवासियों की सामाजिक सुरक्षा की योजना है। वस्तुतः ये आदिवासी मुख्य रूप से अनुसूचित जनजाति के होते हैं जिनमें अधिकांश ऐसे क्षेत्रों में निवास करते हैं जहाँ वामपंथी उग्रवाद अत्यधिक प्रभावीहै।
लघु वन उपज (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के मुख्य उद्देश्य:
- यह सुनिश्चित करना कि आदिवासियों को वनों से संकलित उत्पादों के लिए उचित मूल्य मिले और उनके लिए आजीविका के वैकल्पिक साधन भी उपलब्ध हों। लघु वन उत्पादों की बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित हो।
- आदिवासियों को उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण, भंडारण, डिब्बाबंदी, परिवहन आदि की समुचित सुविधा उपलब्ध हो। आदिवासियों को भी उत्पादों की बिक्री से होने वाले राजस्व में(लागत को हटाकर) से एक हिस्सा दिया जाए।
यह योजना कहाँ-कहाँ लागू है?
- आरम्भ में यह योजना 8 राज्यों के मात्र अनुसूचित क्षेत्रों के लिए ही थी और इसमें केवल 12 लघु वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया था।
- परन्तु बाद में यह योजना सभी राज्यों और संघीय राज्य क्षेत्रों में लागू हो गई। अब इसके अंतर्गत सूचीबद्ध लघु वन उत्पादों की संख्या 40 से भी अधिक है।
लघु वन उपज (MFP) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना का कार्यान्वयन
- इस योजना के अंतर्गत लघु वन उत्पादों कान्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का दायित्व राज्यों द्वारा नामित एजेंसियों के ऊपर होता है।
- इस योजना में शीतभंडार, गोदाम, परिवहन आदि अवसंरचनाओं के साथ-साथ उत्पादों को अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने की भी व्यवस्था की जाती है।
- इस योजना के कार्यान्वयन का दायित्व जनजातीय कार्य मंत्रालय का होता है। जनजातीय कार्य मंत्रालय TRIFED की तकनीकी सहायता से लघु वन उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करता है।
स्त्रोत – पी आई बी