रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक नई महामारी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance: AMR) के प्रसार से 2050 तक प्रतिवर्ष 10 मिलियन मौतें हो सकती हैं।
- उपर्युक्त निष्कर्ष संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा AMR के पर्यावरणीय आयामों पर जारी एक रिपोर्ट का हिस्सा है।
- AMR पहले से ही मनुष्यों, जानवरों और पादपों के स्वास्थ्य के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance: AMR)
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) किसी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा इनके संक्रमण के उपचार के लिये उपयोग किये जाने वाली एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) के विरुद्ध प्रतिरोध विकसित कर लेने की स्थिति है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने AMR को वैश्विक स्वास्थ्य के लिये शीर्ष दस खतरों में से एक के रूप में चिह्नित किया है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष–
सूक्ष्मजीव (विशेष रूप से जीवाणु), ऐसे प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आकर प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर सकते हैं, जो पर्यावरण में उत्पन्न हुए हों या प्रवेश कर गए हों ।
जब रोगाणुरोधी पर्यावरण में छोड़े जाते हैं, तो निम्नलिखित द्वारा नया AMR विकसित हो सकता है:
- सचल आनुवंशिक तत्वों (Mobile genetic elements) द्वारा स्वतः प्रवर्तित उत्परिवर्तन, अधिग्रहण और संचरण द्वारा ।
- पर्यावरण और पादप, पशु या मानव से जुड़े जीवाणुओं के बीच क्षैतिज जीन स्थानांतरण की घटनाओं द्वारा ।
- AMR संबंधी चुनौतियां पृथ्वी के तिहरे संकट से निकटता से जुड़ी हुई हैं।
- ये संकट हैं: जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण व अपशिष्ट ।
AMR के विकास और पर्यावरण में प्रसार के 3 प्रमुख क्षेत्र हैं:
- फार्मास्यूटिकल्स व अन्य रासायनिक विनिर्माण, कृषि एवं खाद्य उत्पादन और स्वास्थ्य देखभाल।
- AMR का संचरण और प्रसार, पॉइंट – सोर्स तक ही सीमित नहीं है। इसके प्रसार में क्षणिक और प्रसारित स्रोत (Transient and Diffuse sources) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- क्षणिक और प्रसारित स्रोतों में कृषि जल अपवाह, वायुजनित संचरण, वन्यजीव प्रवासन आदि शामिल हैं।
- पॉइंट-सोर्स- कोई एक पहचान किए जाने योग्य स्रोत।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें–
- वन हेल्थ दृष्टिकोण की तरह एक संगठित प्रणाली दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए।
- AMR राष्ट्रीय कार्य योजनाओं में पर्यावरण संबंधी विचारों को भी शामिल करने की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त शासी, योजना निर्माण और कानूनी ढांचे का सृजन किया जाना चाहिए।
- एकीकृत जल प्रबंधन में सुधार के लिए वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ।
- पर्यावरण की निगरानी और निरीक्षण पर बल दिया जाना चाहिए।
स्रोत – डाउन टू अर्थ