रेल दुर्घटना
हाल ही में उत्तरी बंगाल में रेल के पटरी से उतरने के कारण कई लोगों की मृत्यु हो गई है । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014-15 से रेल दुर्घटनाओं में बहुत कमी आई है, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाओं को रोकने के व्यापक प्रयास किये जाने चाहिए।
- वर्ष 2014-15 में 135 रेल दुर्घटनाएं हुई थीं। वर्ष 2019-20 में यह संख्या 55 थी। इन दुर्घटनाओं में वर्ष 2014-15 में 292 लोगों की मृत्यु हुई थी। वर्ष 2019-20 में केवल 5 लोग मारे गए थे।
- भारतीय रेलवे में दुर्घटनाओं हेतु जिम्मेदार कारण खराब रोलिंग स्टॉक हैं। इसके अतिरिक्त, देश की सभी रेलों में लिंके हॉफमैन बुश (LHB) कोच नहीं हैं।
- LHB कोच स्टेनलेस स्टील से निर्मित होते हैं। इनमें आघात सहन करने की बहुत अधिक क्षमता होती है। ये रेल के पटरी से उतरने से होने वाली दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं।
- ऐसा कोई तंत्र विद्यमान नहीं है, जो आग लगने के जोखिम की पहचान कर सके तथा संभावित टक्कर को रोकसके।
- रेलवे ट्रैक्स का सही तरीके से रखरखाव नहीं किया जाता है। चरम मौसमी घटनाएं (जैसे कोहरा, अधिक वर्षा आदि) भी ऐसी दुर्घटनाओं की संभावनाओं को बढ़ाती हैं।
रेलवे से संबंधित समितियों द्वारा की गई सिफारिशें
- रेलवे के आधुनिकीकरण पर सैम पित्रोदा समितिः ट्रेन निगरानी तंत्र का केंद्रीकरण, मौजूदा 19,000 किमी लम्बे ट्रैकों का आधुनिकीकरण, मुख्य मार्गों पर स्वचालित संकेतन तंत्र लागू करना आदि।
- रेलवे सुरक्षा समीक्षा पर अनिल काकोदकर समितिः एक विधिक रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण का गठन करना, एक उन्नत संकेतन प्रणाली को अपनाना आदि।
- रेलवे के पुनर्गठन पर बिबेक देबरॉय समितिः निजी क्षेत्र को भागीदार बनाना, एक स्वतंत्र विनियामक आवश्यक है आदि।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- मानव रहित लेवलक्रॉसिंग (Unmanned Level Crossings: UMLC) को हटाने तथा ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (TCAS) के माध्यम से मिशन जीरो एक्सीडेंट ।
- एक विशेष निधि ‘राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष’ (RRSK)का गठन किया गया है। इस कोष में पांच वर्षों के भीतर एक लाख करोड़ रुपये जमा किये जायेंगे। यह कोष सुरक्षा से संबंधित कार्यों को गति प्रदान करेगा।
- पारंपरिक इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) डिज़ाइन कोचों के स्थान पर LHB डिज़ाइन कोचों को लाया जाएगा।
- कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में लोको पायलट को जीपीएस आधारित फोग पास डिवाइस प्रदान किए जाएंगे।
स्रोत –द हिन्दू