रेल गलियारे के लिये लिडार सर्वेक्षण
भारतीय रेलवे दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए जमीनी सर्वेक्षण करने के लिए लिडार तकनीक का उपयोग करेगा।
हाल ही में दिल्ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारे में लिडार सर्वेक्षण हेतु अत्याधुनिक एरियल लिडार तथा इमेज़री सेंसरों से सुसज्जित एक हैलिकॉप्टर का प्रयोग कर ग्राउंड सर्वेक्षण से संबंधित डाटा प्राप्त किया गया है।
मुख्य बिंदु
- गौरतलब है कि दिल्ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगा।
- राष्ट्रीय हाइस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा निर्माण कार्यों में लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग (लिडार) सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक की सहायता से ग्राउंड सर्वेक्षण से संबंधित सभी विवरण तथा डेटा 3 से 4 महीनों में प्राप्त किया जा सकता है, जबकि इस प्रक्रिया में सामान्यतः 10 से 12 माह का समय लगता है।
- लाइनियर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना में ग्राउंड सर्वेक्षण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इससे रेलमार्ग के आस-पास के क्षेत्रों की सटीक जानकारी प्राप्त होती है।
- एरियल लिडार सर्वेक्षण में प्रस्तावित रेलमार्ग के आसपास के 300 मीटर क्षेत्र को शामिल किया जाएगा तथा सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा के आधार पर रेलमार्गों का डिज़ाइन, संरचना, रेलवे स्टेशन के लिये स्थान, गलियारे के लिये भूमि की आवश्यकता, परियोजना से प्रभावित भूखंडों की पहचान आदि का निर्धारण किया जाएगा।
- विदित है कि राष्ट्रीय हाइस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 7 हाइस्पीड रेल गलियारे के निर्माण कार्य हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। इन सभी गलियारों में ग्राउंड सर्वेक्षण के लिये लिडार सर्वेक्षण तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।
लिडार तकनीक (लाईट डिटेक्सन एंड रेंजिंग टेकनीक):
- यह एक रिमोट सेंसिंग विधि है जो पृथ्वी पर दूरी को मापने के लिए स्पंदित लेजर के रूप में प्रकाश का उपयोग करती है। यह प्रणाली लाइट पल्सेस पृथ्वी के आकार और इसकी सतह विशेषताओं के बारे में 3D जानकारी उत्पन्न करती हैं। एक लिडार उपकरण में एक स्कैनर, लेजर और एक जीपीएस रिसीवर होता है। हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज लिडारडेटा प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले प्लेटफ़ॉर्म हैं।
- लिडारदो प्रकार के होते हैं – स्थलाकृतिक (topographic) और बाथमीट्रिक (Bathymetric)। स्थलाकृतिक लिडार भूमि का नक्शा बनाने के लिए इन्फ्रारेड लेजर का उपयोग करता है। दूसरी ओर, बाथमीट्रिक लिडारनदी के तल की ऊँचाई और समुद्र तल को मापता है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस