रेड सैंड हिल्स
- हाल ही में वैज्ञानिकों ने आंध्र प्रदेश सरकार से तटीय लाल बालू टिब्बों (Red sand dunes) के संरक्षण का आग्रह किया है।
- इन तटीय लाल बालू टिब्बों को स्थानीय भाषा में ‘एर्रा मट्टी डिब्बालू’ कहा जाता है। इन्हें ‘रेड सैंड हिल्स’ भी कहा जाता है। ये विशाखापट्टनम शहर के सीमांत क्षेत्रों में स्थित हैं।
- इनके शीर्ष पर हल्के पीले रंग के बालू के टिब्बे हैं। उनके नीचे ईंट जैसे रंग की लाल रेत की परत है। इस परत के नीचे लाल-भूरे रंग की कंक्रीट की तरह मजबूत रेत की परत है और सबसे नीचे पीली रेत की संरचना है।
- ये टिब्बे नाजुक प्रकृति के हैं और इनके समक्ष प्राकृतिक क्षरण का खतरा मौजूद है।
- वर्ष 2014 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने इन्हें भूवैज्ञानिक – विरासत (Geo- Heritage) स्थल का दर्जा दिया था।
- भूवैज्ञानिक विरासत स्थलों को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक भी कहा जाता है। ये वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक महत्व के भूवैज्ञानिक क्षेत्र हैं।
एर्रा मट्टी डिब्बालू का महत्व
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने में मदद मिलती है, क्योंकि ये टिब्बे उष्ण और हिम दोनों युगों में अस्तित्व में रहे हैं।
- यह धरोहर स्थल लगभग 18,500 से 20,000 वर्ष पुराना है और यह पिछले अंतिम हिमयुग से संबंधित हो सकता है।
- यह एक दुर्लभ परिघटना है, क्योंकि भूमध्यरेखीय क्षेत्रों या समशीतोष्ण क्षेत्रों में बालू के ऐसे निक्षेप नहीं बनते हैं।
- दक्षिण एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में केवल तीन स्थलों पर ऐसे निक्षेप प्राप्त होते हैं। एर्रा मट्टी के अलावा तमिलनाडु के टेरी सैंड्स और श्रीलंका में एक बालू निक्षेप स्थल इसके उदाहरण हैं।
- यह स्थल प्रागैतिहासिक मानव का आश्रय भी रहा है। यहां से तीन अलग-अलग युगों के पाषाणकालीन उपकरण व नवपाषाणकालीन मृदभांड प्राप्त हुए हैं।
स्रोत – द हिन्दू