पश्चिमी देशों द्वारा रूस के कच्चे तेल पर प्राइस कैप प्रतिबंध
- हाल ही में पश्चिमी देशों ने रूस के कच्चे तेल पर प्राइस कैप(उच्चतम मूल्य सीमा) प्रतिबंध लगा दिए हैं।
- G-7 देशों के समूह, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने रूस के कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगा दिया है।
- यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को देखते हुए ऐसा किया गया है।
- रूस, विश्व में कच्चे तेल के तीन शीर्ष उत्पादक देशों में शामिल है।
- प्राइस कैप लगाने का मुख्य उद्देश्य रूस की जीवाश्म ईंधन से होने वाली आय को सीमित करना है। पश्चिमी देशों का मानना है कि रूस इस आय का इस्तेमाल यूक्रेन में सैन्य अभियान संचालन में कर रहा है।
प्राइस कैप लगाने का क्या तात्पर्य है?
- प्राइस कैप लगाने वाले गठबंधन में शामिल होने वाले देशों के लिए इसका यह अर्थ होगा कि वे रूस के कच्चे तेल को तब तक नहीं खरीदेंगे, जब तक कि उसकी कीमत निर्धारित प्राइस कैप तक नहीं आ जाती है।
- रूस प्राइस कैप से अधिक कीमतों पर बिक्री करना जारी रख सकता है, लेकिन उसे पश्चिमी देशों से तेल ले जाने वाले मालवाहकों के लिए बीमा, मुद्रा भुगतान या पोत की मंजूरी जैसी सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी।
प्राइस कैप का प्रभाव
- तेल बाजार संचालन में बाधा पैदा करेगा और वैश्विक तेल उद्योग पर हानिकारक प्रभाव डालेगा।
- जब तक रूस कच्चे तेल की ढुलाई के लिए अपने स्वयं के जहाजों का उपयोग नहीं करता या आपूर्ति के लिए किसी अन्य वैकल्पिक मार्ग की खोज नहीं करता, तब तक भारत जैसे देशों के लिए रूस के सस्ते तेल के विकल्प के तौर पर अन्य स्रोत खोजना चुनौतीपूर्ण सिद्ध होगा ।
G-7 समूह
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था।
- वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये ब्लॉक की वार्षिक बैठक होती है।
- G-7 के सदस्य हैं- कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ।
- सभी G-7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।
स्रोत – द हिन्दू