रुपया का गिरता स्तर
हाल ही में रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया, यह पहली बार है जब रुपया 79 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया है।
रुपये में हालिया गिरावट के कारण-
- रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य कारणों से कच्चे तेल तथा खाद्य तेलों जैसी अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है।
- भारत अपने पेट्रोलियम उत्पाद की मांग का लगभग 85% आयात करता है।
- उच्च मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों (विशेष रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व) ने अपनी मौद्रिक नीतियों में बदलाव किया है।
कुछ अन्य कारण हैं:
- अमेरिका में बढ़ते बॉन्ड यील्ड और उच्च मूल्यांकन तथा अमेरिका में मंदी के खतरे के कारण भारत से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) से पूंजी का निरंतर बाहर जाना।
- अक्टूबर 2021 से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 33 अरब डॉलर से अधिक की राशि की निकासी की है।
- घरेलू कारकों में शामिल हैं; चालू खाता घाटे में वृद्धि, मुद्रास्फीति आदि ।
रुपये के मूल्यास का प्रभाव-
- रुपये में गिरावट को रोकने के भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रयासों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आयी है।
- व्यापार घाटे में वृद्धि से चालू खाता घाटा तथा भुगतान संतुलन के बीच अंतर और अधिक बढ़ गया है।
- बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा के माध्यम से यह निर्यात को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।
स्रोत –द हिन्दू