‘रीइमेजिंग हेल्थकेयर इन इंडिया थ्रू ब्लेन्डेड फाइनेंस’ रिपोर्ट
हाल ही में नीति आयोग ने ‘रीइमेजिंग हेल्थकेयर इन इंडिया थ्रू ब्लेन्डेड फाइनेंस’ नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है ।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षः
- अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या में कम से कम 30 प्रतिशत तक की वृद्धि करने की आवश्यकता है। इससे नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुंच सुनिश्चितहोगी।
- अस्पतालों के 65 प्रतिशत बिस्तर देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी के लिए उपलब्ध हैं। यह आबादी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों में सकेंद्रित है।
- भारत के कुल स्वास्थ्य सेवा बाजार में अस्पताल क्षेत्र की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
- भारत में स्वास्थ्य देखभाल पर किया जाने वाला व्यय, ब्रिक्स (BRICS) देशों में सबसे कम है।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अस्पतालों में भर्ती रोगियों द्वारा सेवाओं की मांग को बढ़ा सकती है।
- इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मिश्रित वित्तपोषण (Blended finance) का सुझाव दिया गया है।
- मिश्रित वित्त, वित्तपोषण की दिशा में एक दृष्टिकोण है। इसमें सार्वजनिक और परोपकारी स्रोतों से प्रेरक वित्त (उदाहरण के लिए, अनुदान एवं रियायती पूंजी) का उपयोग अतिरिक्त निजी क्षेत्र के निवेश को जुटाने के लिए किया जाता है। इससे सामाजिक लक्ष्यों और परिणामों को प्राप्त करना संभव हो सकेगा।
मिश्रित वित्तपोषण के लिए सुझाए गए सिद्धांत
- सभी मिश्रित वित्तपोषण गतिविधियों को एक विकास लक्ष्य से जोड़ा जाना चाहिए।
- मिश्रित वित्तपोषण से वाणिज्यिक वित्तपोषण की सुलभता में वृद्धि होनी चाहिए।
- मिश्रित वित्तपोषण स्थानीय संदर्भ के अनुसार होना चाहिए।
- मिश्रित वित्तपोषण के लिए प्रभावी भागीदारी पर ध्यान देना चाहिए।
- पारदर्शिता और परिणामों के लिए मिश्रित वित्तपोषण की निगरानी करनी चाहिए।
मिश्रित वित्तपोषण का महत्व
- यह सरकारी ऋण और संप्रभु गारंटियों पर निर्भरता कम करता है।
- व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य सामाजिक प्रभाव परियोजनाओं की एक रुपरेखा बनाता है।
- सह-वित्तपोषण और सह-निवेश के माध्यम से जोखिम प्रीमियम को कम करता है।
स्रोत – द हिंदू