रिसैट-2 सैटेलाइट
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा प्रक्षेपित रिसैट-2 (रडार इमेजिंग सैटेलाइट) उपग्रह ने फिर से अनियंत्रित रूप से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया है।
RISAT-2 भारत का पहला “आई इन द स्काई” उपग्रह है, जो घुसपैठ को रोकने और सीमा पार आतंकवाद या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों पर नज़र रखने के साथ-साथ चौबीसों घंटे सीमा पर निगरानी में मदद करता है।
RISAT-2 के बारे में–
- रिसैट-2 एक रडार-इमेजिंग उपग्रह है। यह इसरो के रिसैट कार्यक्रम का हिस्सा था। इसका भार लगभग 300 किलोग्राम है। इस उपग्रह को वर्ष 2009 में PSLV-C12 ने लॉन्च किया था।
- रिसैट उपग्रह एक सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) से युक्त होते हैं। ये रडार दिन और रात के दौरान तथा बादलों के छाए रहने की स्थिति में भी पृथ्वी की तस्वीरें ले सकते हैं।
- रिसैट-1 उपग्रह के लिये स्वदेश में विकसित हो रहे सी-बैंड में देरी होने के कारण वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद रिसैट-2 को अधिक तेज़ी से विकसित किया गया था।
- भारत के पहले समर्पित इस टोही उपग्रह में दिन-रात कार्य करने के साथ-साथ सभी मौसमों में निगरानी करने की क्षमता है। इसका उपयोग समुद्र में सैन्य खतरा माने जाने वाले जहाज़ों को ट्रैक करने के लिये भी किया जाता था।
- रिसैट-2 ने 13 वर्षों से अधिक समय तक लाभकारी पेलोड डेटा प्रदान किया। इसके प्रवेश के बाद से विभिन्न अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिये रिसैट-2 की रडार पेलोड सेवाएँ प्रदान की गईं।
- रिसैट-2 अंतरिक्षयान कक्षीय संचालन को कुशल और इष्टतम तरीके से पूरा करने के लिये इसरो की क्षमता का एक स्पष्ट उदाहरण है।
इसरो की आगामी परियोजनाएँ:
- गगनयान: भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम।
- आदित्य–L1: सूर्य के वातावरण का अध्ययन करने के लिये।
- नासा–इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार मिशन: विभिन्न खतरों और वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन का अध्ययन करने के लिये।
- शुक्रयान-1: शुक्र ग्रह के लिये ऑर्बिटर।
स्रोत – द हिन्दू