भारत द्वारा एशियाई विकास बैंक (ADB) से रियायती जलवायु वित्त प्रदान करने का आग्रह
हाल ही में भारत के वित्त मंत्री ने ADB से रियायती जलवायु वित्त प्रदान करने का आग्रह किया है।
वित्त मंत्री ने एशियाई विकास बैंक (ADB) से विशेष रूप से भारत जैसे मध्यम आय वाले देशों को रियायती जलवायु वित्त प्रदान करने के लिए अन्य तरीकों पर विचार करने का आग्रह किया है।
सकारात्मक प्रभाव पैदा करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत को अगले दस वर्षों हेतु प्रतिवर्ष लगभग 100 अरब डॉलर के जलवायु वित्त की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जलवायु वित्त वह राशि है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए शमन और अनुकूलन कार्रवाइयों का समर्थन करने पर केंद्रित है। इसे स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक, निजी अथवा वैकल्पिक स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है।
भारत में जलवायु वित्त पोषण की आवश्यकता क्यों है?
- यह UNFCCC के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जरूरी है।
- जलवायु वित्त पोषण से कृषि क्षेत्रक में जलवायु अनुकूल बदलाव लाने तथा किसानों को निम्न कार्बन उत्सर्जन युक्त अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करने में मदद मिल सकती है ।
- यह बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण, वनों की कटाई, वनाग्नि, कार्बन उत्सर्जन आदि के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में भारत की मदद करेगा।
जलवायु वित्त पोषण के लिए की गई पहलें –
- केंद्रीय बजट 2022-23 में हरित अवसंरचना में निवेश के लिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की घोषणा की गई है ।
- RBI नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग द फाइनेंशियल सिस्टम (NGFS) में शामिल हुआ है। इसका उद्देश्य पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करना है।
- रिलायंस ने हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
स्रोत – द हिन्दू