भारतीय रिज़र्व बैंक करेगा अपने सोने के भंडार में वृद्धि
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार में वृद्धि कर रहे है।
वर्ष 2010 से, केंद्रीय बैंक वार्षिक आधार पर सोने के शुद्ध खरीदार रहे हैं। भारत 1999 से 2021 के अंत तक सोने के 10 सबसे बड़े आधिकारिक खरीदारों में से एक रहा है।
RBI का सोने का भंडार वित्त वर्ष 2023 में 794.64 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। यह वित्त वर्ष 2022 की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत अधिक है।
सोने के भंडार में वृद्धि के कारण:
विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित करने के लिए: सोने का उपयोग मुद्राओं से जुड़े जोखिम का प्रबंधन करने और आर्थिक उथल-पुथल के दौरान स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाव: सोना, मुद्रास्फीति के कारण मुद्राओं के घटते मूल्य के विरुद्ध एक बचाव विकल्प प्रदान करता है ।
पोर्टफोलियो में विविधता: यह केंद्रीय बैंकों को अस्थिरता से बचाता है, क्योंकि सोने की कीमत का अमेरिकी डॉलर के साथ विपरीत सह-संबंध है ।
सोने के भंडार में यह वृद्धि 1990 के दशक और 2000 के दशक की शुरुआत से अलग है, जब केंद्रीय बैंक सोने के शुद्ध विक्रेता थे।
इसके लिए अच्छी समष्टि अर्थशास्त्रीय (macroeconomic) स्थिति और सोने की कीमतों में गिरावट जैसे कारण उत्तरदायी थे।
मजबूत आर्थिक संवृद्धि के कारण, सोने का सुरक्षित विकल्प के रूप में कम महत्त्व था । साथ ही, कम रिटर्न ने इसे निवेश के रूप में अनाकर्षक बना दिया था ।
वर्ष 1997 के एशियाई वित्तीय संकट और 2007-08 के वित्तीय संकट के बाद सोने के प्रति केंद्रीय बैंक के दृष्टिकोण में बदलाव आना शुरू हुआ।
RBI के विदेशी मुद्रा भंडार के घटक
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां
- सोना
- विशेष आहरण अधिकार
- IMF में रिज़र्व की स्थिति
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस