अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड (ICSCs) के संबंध में ILO के साथ एक समझौता
हाल ही में रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड (ICSCs) के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड (ICSCs) डेटा शीट्स हैं। इनका उद्देश्य रसायनों के बारे में जरूरी सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को सारांश में प्रदान करना है। इस कार्ड का प्राथमिक लक्ष्य कार्यस्थल में रसायनों के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देना है।
ICSCs को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ILO ने यूरोपीय आयोग के सहयोग से विकसित किया है। रासायनिक और पेट्रोरसायन उद्योगों का तेजी से विकास हुआ है।
विशेष रूप से सघन आबादी वाले क्षेत्रों में रसायन संयंत्रों, रसायन भंडारण और परिवहन के आकार में वृद्धि हुई है। इन कारणों से रासायनिक दुर्घटनाओं की संख्या और गंभीरता में भी बढ़ोतरी हुई है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय रासायनिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए नोडल मंत्रालय है।
रासायनिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रावधान–
- एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (ओलियम गैस रिसाव मामला), 1986 वाद में उच्चतम न्यायालय ने ‘पूर्ण दायित्व का सिद्धांत’ (absolute liability) दिया था।
- इस सिद्धांत के अनुसार खतरनाक या स्वाभाविक रूप से जोखिमकारी गतिविधियों में लगे उद्योगों में किसी भी प्रकार की दुर्घटना से यदि विषाक्त पदार्थों का रिसाव होता है, तो ये उद्योग क्षतिपूर्ति के लिए जिम्मेदार होंगे।
- लोक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991 के तहत पर्यावरण राहत कोष के नाम से एक केंद्रीय निधि स्थापित की गई है। इस निधि से पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान की जाती है।
केंद्र सरकार ने खतरनाक पदार्थों के विनियमन के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1987 के तहत निम्नलिखित नियमों को भी अधिसूचित किया है:
- खतरनाक रसायनों के निर्माण, भंडारण और आयात नियम, 1989 तथा
- खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन, हैंडलिंग और सीमा पार परिवहन) नियम,
स्रोत –द हिन्दू