राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की दिल्ली पीठ क्षेत्रीय पीठों से सर्वोच्च नहीं
हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 की केंद्रीय अधिसूचना को निरस्त कर दिया है, जिसने दिल्ली में स्थित NGT उत्तरी क्षेत्र पीठ को प्रधान पीठ करार दिया था।
इसमें वर्णित किया गया है कि यदि मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो यह न्याय तक पहुंच से वंचित करने के समान होगा।
इसने माना की NGT की सभी पांच क्षेत्रीय पीठ समान रूप से प्राधिकृत है और उनके आदेश संपूर्ण भारत में लागू होते हैं।
NGT की क्षेत्रीय पीठ निम्नलिखित हैं- केंद्रीय क्षेत्र (भोपाल), पूर्वी क्षेत्र (कोलकाता), दक्षिणी क्षेत्र (चेन्नई),पश्चिमी क्षेत्र (पुणे) और उत्तरी क्षेत्र (नई दिल्ली)।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)के बारे में
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के अनुसार वर्ष 2010 में स्थापित, यह एक विशेष न्यायिक निकाय है, जो देश में पर्यावरणीय मामलों के निर्णय हेतु पूर्ण विशेषज्ञता से युक्त है।
- NGT का अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है।
- यह सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं होगा, बल्कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होगा।
- अधिकरण के आदेश बाध्यकारी हैं तथा इसे प्रभावित व्यक्तियों को प्रतिपूर्ति और क्षतिपूर्ति के रूप में राहत प्रदान करने की शक्ति प्राप्त है।
स्रोत – द हिन्दू