राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NMCM)
राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NMCM) ने एक लाख से अधिक गांवों का सर्वेक्षण कर लिया है।
- NMCM को ग्रामीण भारत की सांस्कृतिक परिसंपत्तियों का मानचित्र तैयार करने के लिए शुरू किया गया था।
- सांस्कृतिक परिसंपत्ति मानचित्र तैयार करने के लिए, गांवों को आमतौर पर सात-आठ श्रेणियों में विभाजित किया गया है ।
- इन्हें विभाजित करने का आधार यह है कि क्या वे पारिस्थितिक, विकासात्मक और शैक्षिक रूप से महत्वपूर्ण हैं तथा क्या वे किसी ऐतिहासिक या पौराणिक घटनाओं से जुड़े हुए हैं।
इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- पारिस्थितिक श्रेणी में, राजस्थान के जोधपुर के निकट अवस्थित बिश्नोई गांव (प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के लिए) और उत्तराखंड का रैणी गांव (चिपको आंदोलन) शामिल हैं।
- विकासात्मक श्रेणी में, गुजरात में मोढेरा शामिल है। यह भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गांव है।
ऐतिहासिक श्रेणी
- मध्य प्रदेश में कंडेल ( प्रसिद्ध जल सत्याग्रह स्थल),
- हिमाचल प्रदेश में सुकेती (एशिया का प्राचीनतम जीवाश्म पार्क), तथा
- उत्तराखंड का हनोल गांव और कर्नाटक का विदुराश्यतर (दोनों गांव महाभारत काल से जुड़े हुए हैं शामिल हैं।
- NMCM के ‘मेरा गांव मेरी धरोहर कार्यक्रम के तहत सांस्कृतिक परिसंपत्ति के मानचित्रण का कार्य किया जाता है।
- NMCM को 2017 में संस्कृति मंत्रालय ने शुरू किया था। वर्ष 2021 में इसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) को सौंप दिया गया था ।
- इसका उद्देश्य पूरे देश की विविध कला शैलियों, कलाकारों और अन्य संसाधनों का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करना है।
- संस्कृति मंत्रालय ने NMCM के संचालन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) के कॉमन सर्विस सेंटर्स के साथ भागीदारी की है।
NMCM के उद्देश्य
- भावी पीढ़ियों के लिए देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखना ।
- पूरे देश में एक मजबूत “सांस्कृतिक जीवंतता का निर्माण करना ।
- देश के विशाल और व्यापक सांस्कृतिक कैनवास को वस्तुनिष्ठ सांस्कृतिक मानचित्रण में परिवर्तित करना ।
स्रोत – द हिन्दू