राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय रिपोर्ट (National Statistical Office)
हाल ही में जारी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office: NSO) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 तक विगत पांच वर्षों में किसान परिवारों के औसत ऋणों में 57% की वृद्धि हुई देखी गई थी ।
ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों और परिवारों की भूमिजोत का स्थिति आकलन, 2019
(Situation Assessment of Agricultural Households and Land Holdings of Households in Rural India, 2019) सर्वेक्षण के नवीनतम निष्कर्ष सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI)द्वारा जारी किए गए हैं।
प्रमुख निष्कर्ष
- वर्ष 2019 में देश में 50% से अधिक कृषक परिवार 74,121 रुपये प्रति परिवार औसत बकाया ऋण के साथ कर्ज में थे।
- केवल 69.6% बकाया ऋण संस्थागत स्रोतों जैसे बैंकों, सहकारी समितियों और सरकारी एजेंसियों से लिया गया था, जबकि 20.5 प्रतिशत पेशेवर साहूकारों से लिया गया था।
- कृषि वर्ष 2018-19 के दौरान प्रति कृषक परिवार कीऔसत मासिक आय 10,218 रुपये थी।
- देश में कृषक परिवारों की संख्या 9.3 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की संख्या 45.8%, अनुसूचित जाति (SC) 9%, अनुसूचित जनजाति (ST) 14.2% और अन्य की संख्या 24.1% है।
- इसके अतिरिक्त, 5% ग्रामीण परिवारों के पास एक हेक्टेयर से भी कम भूमि है, जबकि केवल 0.2% केपास ही 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि है।
भारत में कृषि ऋण प्रणालीः
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (Priority Sector Lending: PSL); ब्याज अनुदान योजना (Interest Subvention Scheme: ISS); किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना; स्वयं सहायता समूह -बैंक लिंकेज कार्यक्रम (SHG-BPL) आदि।
स्रोत – द हिन्दू