लोथल में “राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC)” विकसित

लोथल में “राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC )” विकसित

हाल ही में केंद्र सरकार गुजरात के लोथल में “राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC )” विकसित कर रही है।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) लोथल में एक विश्व स्तरीय सुविधाओं से युक्त NMHC विकसित कर रहा है।  इसका विकास सागरमाला कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध और विविधतापूर्ण समुद्री विरासत को प्रदर्शित करना है ।

इसमें प्राचीन से लेकर आधुनिक काल तक की सभी विविधतापूर्ण और समृद्ध कलाकृतियों को शिक्षा-सह-मनोरंजन (Edutainment) उद्देश्यों के लिए संग्रहीत किया जाएगा ।

इस परिसर में निम्नलिखित शामिल होंगे:

  • विश्व का सबसे ऊंचा लाइट हाउस संग्रहालय,
  • विश्व की सबसे बड़ी खुली जलीय गैलरी और भारत का सबसे बड़ा नौसैनिक संग्रहालय । इसे विश्व के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में विकसित किया जा रहा है ।

लोथल के बारे में

  • यह सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख नगर था। यहां से 2400 ईसा पूर्व की सबसे पुरानी मानव निर्मित शुष्क गोदी (Dry Dock) के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
  • यह स्थल खंभात की खाड़ी के पास भोगवा और साबरमती नदियों के बीच स्थित है।
  • इसे 2014 में यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए नामांकित किया गया था। हालांकि, अभी भी यह यूनेस्को की अनंतिम (tentative) सूची में ही है।

सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में

  • इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है । यह तत्कालीन विश्व की चार प्राचीन नगरीय सभ्यताओं में से सबसे बड़ी (भौगोलिक) सभ्यता थी । अन्य तीन सभ्यताएं हैं – मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन की सभ्यता ।
  • यह सभ्यता लगभग 2,500 ईसा पूर्व में पश्चिमी दक्षिण एशिया में में फली फूली थी । वर्तमान में यह पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत का क्षेत्र है ।
  • सागरमाला कार्यक्रम: MoPSW ने 2015 में यह कार्यक्रम शुरू किया था । इस कार्यक्रम के तहत भारत की 7500 कि.मी. लंबी तटरेखा के साथ समग्र बंदरगाह अवसंरचना का विकास किया जा रहा है।

स्रोत – पी.आई.बी.

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