राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy -NEP)-2020 पुस्तिका
हाल ही में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) -2020 की एक वर्षीय उपलब्धि पर पुस्तिका का विमोचन किया गया।
- इस पुस्तिका में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’(NEP) की कुछ प्रमुख पहलों के साथ ही नीति की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया गया है, जैसेः – विद्या प्रवेश- यह कक्षा एक के बच्चों के लिए तीन माह का विद्यालयी शिक्षा तैयारी मॉड्यूल है।
- शिक्षा प्रणाली को सक्रिय और उत्प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा संरचना (National Digital Education Architecture: NDEAR) की मूल योजना की परिकल्पना की गई है।
- छात्रों के अधिगम (सीखने के) परिणामों पर ध्यान देने के साथ निष्ठा (स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र प्रगति के लिए राष्ट्रीय पहलः NISHTHA) के तहत माध्यमिक स्तर के शिक्षकों की क्षमता का निर्माण कियाजा रहा है।
- राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों और शिक्षकों को सहायता एवं परामर्श देने के लिए दीक्षा (डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग: DIKSHA) के अंतर्गत निपुण भारत आधारभूत और संख्यात्मकता उपायों (NIPUN Bharat FLN tools) को विकसित किया गया है।
- निपुण (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिसिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरेसीः NIPUN) भारत मिशन यह सुनिश्चित करता है कि वर्ष 2026-27 तक कक्षा 3 तक का प्रत्येक छात्र पढ़ने, लिखने और अंकगणित में सीखने की वांछित क्षमता प्राप्त कर सके।
आरंभ की गई नई पहलें
- राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (National Institute of Open Schooling: NOS) का वर्चुअल स्कूल, अपनी तरह की प्रथम पहल है। यह वर्चुअल लाइव क्लासरूम और वर्चअल लैब के माध्यम से उन्नत डिजिटल लनिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा।
- महामारी के समय भौतिक रूप से स्कूलों के बंद होने के दौरान शिक्षा जारी रखने में सक्षम बनाने हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया ।
- “प्रिया-द एक्सेसिविलिटी वॉरियर’ पुस्तक दिव्यांगों के लिए सुलभता संबंधी मुद्दों पर छात्रों को संवेदनशील बनाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy -NEP)-2020
विद्यालयों के लिए
10+2 से 5+3+3+4 नीति : वर्तमान 10+2 प्रणाली जिसमें पुरानी शिक्षा नीति कक्षा 1 से 10 (आयु 6-16 वर्ष) और तत्पश्चात कक्षा 11-12 (आयु 16-18 वर्ष) तक की स्कूली शिक्षा को समाहित करती है, के स्थान पर 5 वर्षों की बुनियादी शिक्षा- प्रिपरेटरीस्टेज में 3 वर्ष, मिडिल स्कूल स्टेज में 3 वर्ष और सेकेंडरी स्टेज में चार वर्ष ।
बहु विषयकः सभी संकायों में विषयों को चुनने का लचीलापन; सभी विषयों को प्रवीणता के दो स्तरों पर प्रस्तुत किया जाएगा।
बोर्ड परीक्षा प्रणाली में लचीलापन: बोर्ड परीक्षा केवल मुख्य दक्षताओं का परीक्षण करने के लिए प्रतिरूपकीय (वस्तुनिष्ठ और व्यक्तिपरक) बन सकती है और इसे वर्ष में दो बार आयोजित किया जाएगा।
भाषाओँ की विविधता : कक्षा 8 तक शिक्षा के माध्यम के रूप में स्थानीय भाषा कोवरीयता के साथ त्रिभाषा नीति जारी रखना।
बैग रहित दिवसः स्कूली छात्रों के पास एक वर्ष में 10 बस्ता-रहित (Bag-less) दिवस होंगे, जिसके दौरान उन्हें उनके पसंद के व्यवसाय (अर्थात अनौपचारिक इंटर्नशिप) के संपर्क में लाया जायेगा।
उच्च शिक्षा अर्थात विश्वविद्यालयों के लिए
विद्वतावादी मूल्यांकन परीक्षा (SAT) जैसी विश्वविद्यालय परीक्षाः राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी वर्ष में दो बार सामान्य योग्यता परीक्षा आयोजित करेगी।
4 वर्षीय स्नातकः 4 वर्षीय बहु-विषयक स्नातक कार्यक्रम को प्राथमिकता दी जाएगी; एक विराम के उपरांत डिग्री पूर्ण करने के विकल्प के साथ मिड-टर्म ड्रॉपआउट को क्रेडिट दिया जाएगा।
कोई संबद्धता नहीं: आगामी 15 वर्षों में कॉलेजों को डिग्री देने की श्रेणीबद्ध स्वायत्तता दी जाएगी। विश्वविद्यालयों से संबद्धता समाप्त होगी। इस प्रकार इन्हें डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया जाएगा।
शुल्क सीमाः उच्च शिक्षा के निजी संस्थानों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क की सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव किया गया है।
वैश्विक प्रसारः वैश्विक अग्रणी विश्वविद्यालयों को भारत में आने की सुविधा दी जाएगी। शीर्ष भारतीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर विस्तारकरने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
स्रोत –पीआईबी