राष्ट्रीय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम (NRCP) शुरू
हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने रेबीज़ की रोकथाम और नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम (National Rabies Control Programme – NRCP) आरम्भ किया गया है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय निशुल्क दवा पहल के माध्यम से रेबीज़ वैक्सीन और रेबीज़ इम्युनोग्लोबुलिन का प्रावधान करना है।
साथ ही रेबीज़ की रोकथाम और नियंत्रण, काटने वाले जानवरों का प्रबंधन, निगरानी एवं अंतर-क्षेत्रीय सहयोग हेतु प्रशिक्षण एवं जानवरों के काटने और रेबीज़ से होने वाली मौतों की रिपोर्टिंग की निगरानी को मज़बूत करना है।
रेबीज़:
- रेबीज़ एक वैक्सीन-रोकथाम योग्य ज़ूनोटिक विषाणु जनित बीमारी है। यह राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है जो पागल जानवर (कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि) की लार में मौजूद होता है।
- यह एक संक्रमित पशु के काटने के बाद अनिवार्य रूप से फैलता है जिससे घाव में लार और वायरस का निक्षेपण होता है।
- नैदानिक लक्षण प्रकट होने के बाद रेबीज़ लगभग 100% घातक है। कार्डियो-श्वसन विफलता के कारण चार दिनों से दो सप्ताह में मृत्यु हो जाती है।
- 99% मामलों में घरेलू कुत्ते मनुष्यों में रैबीज़ वायरस के संचरण के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- रोगोद्भवन काल 2-3 महीने भिन्न होता है, लेकिन यह 1 सप्ताह से 1 वर्ष तक भिन्न या कभी-कभी उससे भी अधिक हो सकता है।
- रेबीज़ के प्राथमिक लक्षण फ्लू के समान हो सकते हैं और कुछ दिनों तक रह सकते हैं, इसमें बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, चिंता, भ्रम, अति सक्रियता, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार, मतिभ्रम, अनिद्रा आदि लक्षण शामिल हैं ।
उपचार: रेबीज़ को पालतू जानवरों का टीकाकरण कर, वन्य जीवन से दूर रहकर और लक्षणों के शुरू होने से पहले संभावित जोखिम को चिकित्सा देखभाल प्राप्त करके रोका जा सकता है।
भारत में रेबीज़ की स्थिति:
- भारत रेबीज़ के लिये स्थानिक है एवं विश्व में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36% मौतें भारत से संबंधित हैं।
- रेबीज़ से प्रत्येक वर्ष 18000-20000 मृत्यु हो जाती है। भारत में रिपोर्ट किये गए रेबीज़ के लगभग 30-60% मामले एवं मौतों में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योंकि बच्चों में काटने के निशान को अक्सर पहचाना नहीं जाता एवं रिपोर्ट नहीं किया जाता है।
- भारत में मानव रेबीज़ के लगभग 97% मामलों के लिये कुत्ते ज़िम्मेदार हैं, इसके बाद बिल्लियाँ (2%), गीदड़, नेवले एवं अन्य (1%) हैं। यह रोग पूरे देश में स्थानिक है।
रेबीज़ के उन्मूलन के लिये पहलें:
सरकार ने ‘वर्ष 2030 तक भारत में कुत्तों से होने वाले रेबीज़ के उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना (National Action Plan For Dog Mediated Rabies Elimination- NAPRE)’ शुरू की है। आवारा कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण और उनका प्रबंधन करना स्थानीय निकायों का कार्य है।
स्रोत – पी.आई.बी.