राष्ट्रीय मुकदमा नीति का निर्माण
हाल ही में, राष्ट्रीय मुकदमा नीति (National Litigation Policy: NLP) का निर्माण किया जा रहा है।
विदित ही कि बहुत समय से मुकदमेबाजी को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने हेतु एक NLP विचाराधीन है।
इससे पहले वर्ष 2010 में तत्कालीन कानून मंत्री द्वारा इस उद्देश्य से एक NLP प्रस्तुत की गई थी, कि सरकार को निरर्थक मुकदमेबाजी में शामिल नहीं होना चाहिए, विशेषकर जहां सरकार के विरुद्ध कोई ऊंचा/बड़ा दावा नहीं किया गया है।
महत्वः
- इस नीति का उद्देश्य सरकार को एक कुशल और उत्तरदायी वादी में परिवर्तित करना है।
- सर्वविदित है कि राज्यों और केंद्र में सरकारें जिला अदालतों से लेकर उच्चतम न्यायालय तक में कुल 14 करोड़ मामलों में से 46% मामलों में वादी के रूपमें शामिल हैं।
- यह नीति न्यायालय में किसी मामले के लंबित रहने कीऔसत अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष करने में सक्षम बनाकर न्यायालय के बहुमूल्य समय की बचत करेगी।
मुकदमेबाजी को कम करने के लिए उठाए गए कदम
- लीगल इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड ब्रीफिंग सिस्टम (LIMBS): भारत संघ से जुड़े मुकदमों की निगरानी के उद्देश्य से निर्मित एक वेब-प्लेटफॉर्म है।
- विवादों के समाधान के लिए प्रशासनिक तंत्र (Administrative Mechanism for Resolution of Disputes: AMRD): अंतर-मंत्रालयी/ विभागीय विवादों समाधान के लिए।
- पूर्व-संस्थान मध्यस्थता और निपटान (PIMS) तंत्र के लिए वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 को वर्ष 2018-19 में संशोधित किया गया था।
- केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE) विवादों के समाधान के लिए प्रशासनिक तंत्र (AMRCD) ।
स्रोत – द हिन्दू