राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)

हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के एक सर्वेक्षण में रेखांकित दोषों के आधार पर अल्पसंख्यक वर्गों द्वारा संचालित स्कूलों को शिक्षा के अधिकार (RTE) के अधीन लाने की अनुशंसा की गई है।

  • इस सर्वेक्षण रिपोर्ट का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों की शिक्षा से संबंधित भारतीय संविधान केअनुच्छेद 21A के संबंध में अनुच्छेद 15(5) में प्रदत्त अपवाद के प्रभाव का आकलन करना है।
  • भारतीय संविधान में 86वें संशोधन (2002) द्वारा अनुच्छेद 21A को अंतःस्थापित किया गया था। इस अनुच्छेद ने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में स्थापित किया है।
  • भारतीय संविधान में 93वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 15 में खंड 5 को शामिल किया गया था। इसके माध्यम से राज्य को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों के लिए निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों सहित (अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़कर) सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए विशेष प्रावधान निर्मित करने की सुविधा प्रदान की गई है।

मुख्य निष्कर्ष

  • स्कूल न जाने वाले बच्चों की सर्वाधिक संख्या मुस्लिम समुदाय (1.1 करोड़) से है।
  • अल्पसंख्यक वर्गों द्वारा संचालित स्कूलों में अल्पसंख्यक बच्चों की आबादी के 8% से भी कम बच्चे अध्ययनरत हैं।
  • अल्पसंख्यक स्कूलों में 62.5% छात्र गैर अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं।
  • अल्पसंख्यक स्कूलों में केवल 8.76% छात्र सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के हैं।

सर्वेक्षण में की गई अनुशंसाएं

  • RTE अधिनियम का विस्तार करके मदरसों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
  • मदरसों में शिक्षा के सामान्य विषयों को समाविष्ट करना चाहिए।
  • छात्रवृत्ति की सुविधा का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • वर्तमान में, केवल सरकार से संबद्ध संस्थान ही छात्रवृत्ति हेतु धन प्राप्त करते हैं।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  (NCPCR)

  • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है। यह बालक अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है।
  • आयोग का अधिदेश यह सुनिश्चित करना है कि समस्त विधियां, नीतियां, कार्यक्रम तथा प्रशासनिक तंत्र बाल अधिकारों के परिप्रेक्ष्य के अनुरूप हों। जैसाकि भारत के संविधान तथा साथ ही, संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय में प्रतिपादित किया गया।

स्रोत – द हिन्दू

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