राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (NMPI)
हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधान मंत्री ने अपने संबोधन में कहा है कि, भारत में 13.5 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से ऊपर आ गए हैं।
उन्होंने यह आंकड़ा ‘राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक’ (NMPI) के निष्कर्षों के आधार पर दिया है।
NMPI के अनुसार, 2015-16 से लेकर 2019-21 तक की अवधि में भारत में गरीबी का स्तर 25 प्रतिशत से गिरकर 15 प्रतिशत से कम हो गया है।
विदित हो कि राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक नीति आयोग जारी करता है । यह सूचकांक निम्नलिखित तीन आयामों- स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा और जीवन स्तर तथा 12 मापदंडों के आधार पर अभावों का मापन करता है ।
भारत में गरीबी का अनुमान:
- भारत में गरीबी रेखा का आधिकारिक मापन उपभोग व्यय ( रुपये में) के आधार पर किया जाता है।
- भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण डी. टी. लकड़ावाला (1993), सुरेश तेंदुलकर (2009) और सी रंगराजन (2014) के नेतृत्व वाली अलग-अलग समितियों द्वारा किया जा चुका है।
- रंगराजन समिति के अनुसार ग्रामीण भारत में प्रतिदिन 32 रुपये खर्च करने वाला व्यक्ति व शहरी भारत में 47 रुपये व्यय करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा में माना जाना चाहिए ।
- राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) उपभोग व्यय सर्वेक्षण (CES) आयोजित करता है। इसे हर पांच साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
संबंधित मुद्दे: भारत में गरीबी के विगत आधिकारिक आंकड़े 2011 में जारी किए गए थे । डेटा में अस्पष्टता के कारण 2017-18 के CES डेटा को रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया था ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस