राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023
हाल ही में नीति आयोग द्वारा वर्ष 2019-21 के नवीनतम ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ के आधार पर ‘राष्ट्रीय बहु आयामी गरीबी सूचकांक’ पर एक रिपोर्ट जारी की गई है ।
यह “राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक :एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023” नामक रिपोर्ट राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक’ (MPI) का दूसरा संस्करण है।
मुख्य बिंदु
नवीनतम ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ [NFHS-5 (2019-21)] के आधार पर ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक’ (MPI) का यह दूसरा संस्करण दोनों सर्वेक्षणों, NHFS-4 (2015-16) औरNHFS-5 (2019-21) के बीच बहुआयामी गरीबी को कम करने में भारत की प्रगति को दर्शाता है।
इसे नवम्बर 2021 में लॉन्च किए गए भारत के MPI की बेसलाइन रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है।
रिपोर्ट के बारे में-
भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या वर्ष 2015-16 में 24.85% थी जो गिरकर वर्ष 2019-2021 में 14.96% हो गई इस हिसाब से इसमें 9.89% अंकों की गिरावट देखी गई है। इस अवधि के दौरान रिकॉर्ड लगभग 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए हैं।
इस अवधि के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई, इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी तीव्रतम गति से 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है ।
रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहु आयामी गरीबी से बाहर निकले।
इस ‘बहुआयामी गरीबी अनुमान’ रिपोर्ट में 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों सहित 707 प्रशासनिक जिलों को शामिल हिय गया था।
जिसमें बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज़ कमी उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में देखी गई है। उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए जो कि गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है ।
जबकि केंद्रशासित प्रदेशों के साथ-साथ दिल्ली, केरल, गोवा और तमिलनाडु में बहुआयामी गरीबी का सामना करने वाले लोगों की संख्या सब से कम है।
2015-16 और 2019-21 के दौरान, MPI मूल्य 0.117 से गिरकर 0.066 हो गया है और गरीबी की तीव्रता 47% से घटकर 44% हो गई है।
इससे आशा की जा सकती है कि, भारत 2030 की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले SDG लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा कम करने का लक्ष्य) को हासिल कर सकता है।
राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)-
राष्ट्रीय MPI समान रूप से भारित स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों में एक साथ अभावों को मापता है – इनको सतत विकास लक्ष्य संख्या 12 (12SDG)के संकेत द्वारा दर्शाया जाता हैं।
इन संकेतकों में पोषण, बाल और किशोर मृत्युदर, मातृस्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीनेकापानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खातों को शामिल किया जाता हैं।
राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में सुधार सहायक कार्यक्रम
‘पोषण अभियान’और’एनीमिया मुक्त भारत’ जैसे कार्यक्रमों से स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हुआ है।
‘स्वच्छ भारत मिशन’ (SBM) और ‘जल जीवन मिशन’ (JJM) जैसी योजनाओं पूरे देश की स्वच्छता में सुधार हुआ है
‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ (PMUY) के माध्यम से सब्सिडी वाले खाना पकाने के ईंधन के प्रावधान ने खाना पकाने के ईंधन की कमी में 14.6 प्रतिशत अंक के सुधार के साथ जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
‘सौभाग्य’, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ (PMAY), ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ (PMJDY) और ‘समग्र शिक्षा’ जैसी पहलों ने भी देश में बहुआयामी गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्वच्छता, पोषण, खाना पकाने के ईंधन, वित्तीय समा वेशन, पेयजल और बिजली तक पहुंच बनाने में सरकार की इन योजनाओं द्वारा राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में सुधार संभव हो सका है
नीति आयोग
आजादी के बाद 1950 में योजना आयोग का गठन किया गया था। केंद्र सरकार ने इस योजना आयोग के स्थान पर 1 जनवरी 2015 को एक नए ‘नीति आयोग’ का गठन किया है।
योजना आयोग की तरह नीति आयोग भी भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रि मंडल द्वारा बनाया गया।
‘राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान ’यानी नीति आयोग सरकार के लिए एक थिंक टैंक के रूम में काम करता है।
नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधान मंत्री होते हैं। अध्यक्ष के अलावा एक उपाध्यक्ष और एक कार्य कारी अधिकारी होता है। इनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
स्रोत – पी.आई.बी.