राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के कार्यकाल को 14वीं बार विस्तार

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के कार्यकाल को 14वीं बार विस्तार

हाल ही में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उप-वर्गीकरण के लिए गठित आयोग के कार्यकाल को 14वीं बार विस्तार दिया गया है।

केंद्र सरकार ने OBCs के उप-वर्गीकरण से संबंधित मुद्दों की जांच करने के लिए 2017 में रोहिणी आयोग का गठन किया था। इस आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत किया गया था।

अनुच्छेद 340 के अनुसार राष्ट्रपति सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जांच करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति करेगा ।

रोहिणी आयोग का उद्देश्य OBCs की केंद्रीय सूची के संदर्भ में जातियों या समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण की सीमा की जांच करना है।

उप-वर्गीकरण की आवश्यकता

OBCs को वर्तमान में केंद्र सरकार के तहत नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में27%आरक्षण दिया जाता है।

हालांकि, यह माना जाता है कि OBCs की केंद्रीय सूची में केवल कुछ संपन्न समुदायों ने ही इस आरक्षण के बड़े हिस्सा का लाभ उठाया है।

पूर्व में गठित आयोग

प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग (1955) की रिपोर्ट में OBC का पिछड़े और अत्यंत पिछड़े समुदायों में उप-वर्गीकरण करने का प्रस्ताव किया गया था।

मंडल आयोग की रिपोर्ट (1979) के विरोध को देखते हुए मध्यवर्ती और दमित पिछड़े वर्गों में एक उप-वर्गीकरण का प्रस्ताव किया गया था।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (2015) ने OBC को निम्नलिखित उप-वर्गों में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया था-

अति पिछड़ा वर्ग (EBC – समूह A), अधिक पिछड़ा वर्ग (MBC – ग्रुप B ), और पिछडा वर्ग (BC – समह C)

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)

102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।

इसे सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के बारे में शिकायतों तथा कल्याणकारी उपायों की जाँच करने का अधिकार प्राप्त है।

इससे पहले NCBC सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय था।

NCBC की संरचना

आयोग में पाँच सदस्य होते हैं जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा तीन अन्य सदस्य शामिल हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एवं उसके मुहरयुक्त आदेश द्वारा होती है।

अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों के पद की सेवा शर्तें तथा कार्यकाल का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 340 अन्य बातों के साथ-साथ “सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों” की पहचान करने, उनके पिछड़ेपन की स्थितियों को समझने और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिये सिफारिशें करने की आवश्यकता से संबंधित है।

102वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारतीय संविधान में दो नए अनुच्छेदों 338 B और 342 A को जोड़ा गया। यह संशोधन अनुच्छेद 366 में भी कुछ परिवर्तन करता है।

अनुच्छेद 338 B सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंधित शिकायतों और कल्याणकारी उपायों की जाँच करने के लिये NCBC को अधिकार प्रदान करता है।

अनुच्छेद 342 A राष्ट्रपति को विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने का अधिकार प्रदान करता है।

स्रोत – द हिन्दू

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