संसद में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (NJC) विधेयक 2022 प्रस्तुत

संसद में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (NJC) विधेयक, 2022 प्रस्तुत

  • हाल ही में राज्य सभा में गैर-सरकारी सदस्य ने राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (National Judicial Commission-NJC) विधेयक, 2022 पेश किया है।
  • इस गैर-सरकारी सदस्य विधेयक (Private member bill) में NJC के गठन का प्रस्ताव किया गया है।
  • प्रस्तावित NJC भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों तथा सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों सहित अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए व्यक्तियों की सिफारिश करेगी।

विधेयक की मुख्य विशेषताएं

  • इसका उद्देश्य न्यायिक मानकों को निर्धारित करना और न्यायाधीशों की जवाबदेही के लिए प्रावधान करना है ।
  • सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के दुर्व्यवहार या अक्षमता से संबंधित व्यक्तिगत शिकायतों की जांच के लिए विश्वसनीय और उचित तंत्र स्थापित करने का प्रावधान करता है।
  • साथ ही, ऐसी जांच के लिए प्रक्रिया निर्धारित करता है।
  • वर्ष 2015 में, सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (National Judicial Appointment Commission-NJAC) और 99वें संविधान संशोधन को रद्द कर दिया था।
  • 99वें संविधान संशोधन ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र आयोग (NJAC) के गठन का प्रावधान किया था ।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि NJAC न्यायाधीशों की नियुक्ति में न्यायपालिका की प्रधानता को हटाकर संविधान के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा।
  • NJAC का उद्देश्य कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करना था। कॉलेजियम प्रणाली के तहत उच्चतर न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियां वरिष्ठतम न्यायाधीशों का एक समूह करता है।

कॉलेजियम प्रणाली से जुड़ी चिंताएं

  • यह एक गैर-पारदर्शी प्रणाली है, क्योंकि इसमें कोई आधिकारिक तंत्र या सचिवालय शामिल नहीं है।
  • इसमें पात्रता मानदंड तथा चयन प्रक्रिया के संबंध में कोई निर्धारित नियम नहीं है।
  • कॉलेजियम की कार्यवाहियों का कोई आधिकारिक और लिखित विवरण नहीं होता है ।
  • इससे न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच विवाद उत्पन्न होता है। साथ ही, इसे न्यायिक नियुक्तियों की धीमी गति के लिए भी उत्तरदायी ठहराया गया है।
  • गैर-सरकारी सदस्यों द्वारा पेश किये गए विधेयक को गैर-सरकारी सदस्य का विधेयक कहा जाता है। गैर-सरकारी सदस्य वह सांसद होता है, जो सरकार में मंत्री पद पर नहीं होता है ।
  • इस विधेयक का प्रारूप तैयार करना संबंधित सदस्य की जिम्मेदारी होती है। इसे सदन में प्रस्तुत करने के लिए एक महीने पहले नोटिस देना होता है ।
  • गैर-सरकारी विधेयक सदन में केवल शुक्रवार को प्रस्तुत किए जा सकते हैं और चर्चा के लिए लाए जा सकते हैं।
  • अब तक संसद में 14 गैर-सरकारी विधेयक पारित हो चुके हैं।

स्रोत – द हिन्दू

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