राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC)
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC)
- वर्तमान में असम के विधानसभाचुनावोंमेंराष्ट्रीयनागरिकरजिस्टरकामुद्दाप्रमुखतासेछायाहुआहैक्योंकि29 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख से अधिक आवेदक रजिस्टर की अंतिम सूची से बाहर हो गए हैं। इस मामले में केंद्र ने असम सरकार से कहा है कि 2019 में प्रकाशित अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से बाहर होने वालों को “अस्वीकृति पर्ची” तुरंत जारी की जानी चाहिए।
पृष्ठभूमि:
- अवैध प्रवासन जैसी गंभीर समस्याओं के साथ एक सीमावर्ती राज्य होने की वजह से 1951 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर 1951 में असम राज्य के लिए नागरिकों का एक रजिस्टर बनाया गया था।
- असम में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एक अलग प्राधिकरण के निर्माण हेतु अवैध प्रवासी (प्राधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम, 1983 को संसद द्वारा पारित किया गया था किन्तु सर्वोच्च न्यायालय ने 2005 में इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिसके बाद भारत सरकार ने असम एनआरसी का नवीनीकरण करने पर सहमति व्यक्त की।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर क्या है?
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) सभी भारतीय नागरिकों का एक रजिस्टर है जिसके निर्माण को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003 द्वारा अधिकृत किया गया है।
- इसे सर्वप्रथम 2013-2014 में असम राज्य में लागू किया गया था और यह एकमात्र भारतीय राज्य है जहाँ इसे लागू किया गया है । इसके अंतर्गत केवल उन्ही भारतीय नागरिकों को सम्मिलित किया गया है जो 25 मार्च, 1971 के पहले से असम राज्य के निवासी हैं।
- अभी तक एनआरसी भारत के उन राज्यों में ही लागू होती है जिनकी सीमा अन्य देशों के साथ लगी हुई होती है क्योंकि वहाँ से अवैध प्रवासन की अत्यधिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं किन्तु वर्ष 2021 में देश के बाकी हिस्सों में इसे लागू करने की भारत सरकार की योजना है।
- भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त एनआरसी के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करते हैं।
प्रभाव:
- इसके नवीनीकरण के परिणामस्वरूप बांग्लादेश से असम में होने वाले अवैध प्रवासियों की संख्या में गिरावट आएगी।
- इससे भारत के सभी कानूनी नागरिकों को प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाएगा जिससे अवैध अप्रवासियों की पहचान की जा सके और उन्हें निर्वासित किया जा सके।
- बिना एनआरसी प्रमाणपत्र के असम में निवास करने पर जेल और निर्वासन का भय अवैध प्रवासन को रोकेगा।
- सबसे महत्वपूर्ण अवैध प्रवासियों को भारतीय पहचान दस्तावेजों की खरीद करने और भारतीय नागरिकों को प्राप्त होने वाले सभी अधिकारों और लाभों का लाभ उठाना अधिक कठिन हो सकता है।
मुश्किलें:
- एनआरसी की समानांतर प्रक्रिया, चुनाव आयोग की मतदाता सूची और असम बॉर्डर पुलिस की मदद से विदेशियों के न्यायाधिकरणों ने अव्यवस्था को जन्म दिया है, क्योंकि इनमें से कोई भी एजेंसी एक दूसरे के साथ जानकारी साझा नहीं कर रही है।
- सूची में शामिल न होने वालों के भविष्य के बारे में अनिश्चितता है।
- बिना किसी औपचारिक समझौते के भारत अवैध प्रवासियों को बांग्लादेश में वापस नहीं भेज सकता है।
- कार्य करने की अनुमतिपत्र एक अन्य विकल्प हो सकता है जो उन्हें काम करने के लिए सीमित कानूनी अधिकार प्रदान करेगा लेकिन ऐसे व्यक्तियों के बच्चों के भविष्य को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
स्रोत: द हिन्दू
- Testing Mains Answer Writing
- The National Commission for Allied and Healthcare Professions Bill 2020
- Sixth Schedule of the Constitution for the Protection and Autonomy of Tribal Communities
- Bad Bank for Strengthening the banking Sector of India
- The Government of NCT of Delhi (Amendment) Bill 2021
- A Burning Issue of Climate Finance
- Prime Minister’s address from the forum of The Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI)
- ‘Right to Health’ initiative in Rajasthan
- Vehicle Scrappage Policy
- Lachit Borphukan, the great general of the Ahom kingdom