राष्ट्रीय ताप विद्युत् निगम (NTPC) द्वारा फ्लाई ऐश की बिक्री
हाल ही में, राष्ट्रीय ताप विद्युत् निगम (NTPC) द्वारा मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में फ्लाई ऐश की बिक्री के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति (EOI) आमंत्रित की गई है ।
यह विद्युत संयंत्रों से फ्लाई ऐश के 100 प्रतिशत उपयोग को प्राप्त करने के इसके लक्ष्य के अनुरूप है।वर्तमान में, लगभग 80 प्रतिशत उपयोग हो रहा है।
फ्लाई ऐश:
फ्लाई ऐश एक महीन पाउडर है, जो तापीय विद्युत संयंत्रों में कोयले के दहन का उपोत्पाद होता है ।
फ्लाई ऐश की संरचनाः
- इसमें सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड्स की पर्याप्त मात्रा होती है।
- इसमें आर्सेनिक, बोरॉन, क्रोमियम, लेड आदि अल्प सांद्रता में होते हैं।
- भारतीय कोयला आयातित कोयले (10-15 प्रतिशत) की तुलना में 30-45 प्रतिशत कीराख सामग्री के साथ निम्न गुणवत्ता का है।
- फ्लाई ऐश का उपयोग कृषि (जल धारण क्षमता और मृदा वातन में सुधार), निर्माणकार्य (पोर्टलैंड सीमेंट, ईंट, टाइल्स आदि का निर्माण), अवशोषकों का निर्माण(अपशिष्ट गैसों, पेयजल आदि के शुद्धिकरण में) में किया जा सकता है।
फ्लाई ऐश के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किए गए सरकारी उपाय
- कोयले और लिग्नाइट आधारित विद्युत संयंत्रों के लिए तीन से पांच वर्षों के भीतर फ्लाई ऐश का 100 प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
- राख प्रबंधन के लिए ऐश ट्रैक (ASH TRACK) मोबाइल ऐप लांच किया गया है।
- सभी सरकारी योजनाओं में फ्लाई ऐश आधारित उत्पादों का उपयोग अनिवार्य किया गया है, जैसे कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना।
- महाराष्ट्र, फ्लाई ऐश उपयोगिता नीति (2018) अपनाने वाला प्रथम राज्य बन गया है।
स्रोत – द हिन्दू