राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयलपाम (NMEO-OP) को क्षेत्र विस्तार का उपयोग करके और कच्चे पामऑयल उत्पादन में वृद्धि करके देश में खाद्य तेल की उपलब्धता को बढ़ाने हेतु आरंभ किया गया था। इसका लक्ष्य आयात के बोझ को कम करना है।
वर्ष 2020-21 के दौरान, भारत ने 133.5 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया था। इसमें पामऑयल की हिस्सेदारी लगभग 56% थी।
इस योजना में वर्ष 2025-26 तक पामऑयल का रकबा (क्षेत्र) 6.5 लाख हेक्टेयर बढ़ाने और इस प्रकार अंततः 10 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य पूर्ण करने का प्रस्ताव प्रस्तुत कियागया है।
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयलपाम (NMEO-OP) वर्तमान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ऑयलपाम कार्यक्रम को समाहित कर लेगा। योजना में यह प्रावधान भी किया गया है कि एक निश्चित अवधि के बाद नियम-कानून स्वतः समाप्त हो जायेंगे। इसकी तारीख 1 नवंबर, 2037 तय की गई है।
पामऑयल को चावल, केला और गन्ना जैसी फसलों की तुलना में कम जल की आवश्यकता होती है।
योजना के प्रमुख बिन्दु:
Key points of the scheme:
- पामऑयल उत्पादकों को उनके पाम के ताजे फलों के गुच्छों के लिए मूल्य आश्वासन (व्यवहार्यता मूल्य के रूप में) प्रदान किया जाएगा। वर्तमान में इन गुच्छों की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय कच्चे पामऑयल (CPO) कीमतों में उतार-चढ़ाव से संबंधित है।
- योजना का एक अन्य फोकस, इनपुट/हस्तक्षेपों (वृक्षारोपण, रखरखाव और अंतर–फसल हस्तक्षेपों सहित) के लिए समर्थन में पर्याप्त वृद्धि करना है।
- राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयलपाम (NMEO-OP) के तहत पूर्वोत्तर तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
स्रोत – द हिन्दू