राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA), 2005 में होगा संशोधन
हाल ही में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA), 2005 को कोविड काल पश्चात् संशोधित करने की सलाह दी है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि भविष्य में कोविड-19 महामारी जैसी स्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए NDMA, 2005 में संशोधन किया जाना चाहिए।
समिति ने यह विश्लेषण किया है कि भले ही NDMA ने महामारी के दौरान समय पर प्रतिक्रिया करने में हमारी मदद की है, लेकिन यह भविष्य में संभावित वैश्विक/स्थानीय महामारी प्रकोपों से निपटने के लिए पूर्ण रूप से सशक्त नहीं है।
अन्य सिफारिशें/सुझावः
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMA), 2019 में संशोधन किया जाना चाहिए। NDMA सरकारी एजेंसियों को किसी भी अप्रत्याशित राष्ट्रीय आपदाओं (रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु हमलों सहित) से निपटने में मदद करने के लिए दिशा-निर्देश है।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना को NDMA के प्रावधानों के तहत निर्मित किया गया है।
- भविष्य में महामारी के प्रकोप से उत्पन्न चुनौतियों के विरुद्ध प्रतिक्रिया देने के लिए पुराने महामारी अधिनियम, 1897 की पुनः समीक्षा करना, अपडेट करना और संशोधित करना चाहिए।
- बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने और प्रभावपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना बनाने में मदद करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय करने हेतु सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का प्रतिशत बढ़ाना चाहिए।
- मानक संचालन प्रक्रियाओं, लॉकडाउन और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन सहित कोविड-19 के प्रकोप के दौरान सीखे गए अनुभवों को शामिल करना चाहिए।
- कोविड-19 के विश्वव्यापी प्रसार के बाद, गृह मंत्रालय द्वारा इस महामारी को “अधिसूचित त्रासदी” घोषित किया गया था। साथ ही, इसके नियंत्रण हेतु NDMA को लागू किया गया था।
NDMA का दायरा
NDMA का विधायी उद्देश्य आपदा के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रावधान करना है। अधिनियम के तहत स्थापित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन के लिए समन्वय के लिए नोडल केन्द्रीय निकाय है इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है ।इसी प्रकार राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी स्थापित किये गए हैं ।
स्रोत – द हिन्दू