राष्ट्रीय अपील न्यायालयों की स्थापना
हाल ही में भारत के महान्यायवादी ने उच्चतम न्यायालय पर कार्यभार कम करने के लिए राष्ट्रीय अपील न्यायालयों (National Courts of Appeal: NCA) की स्थापना पर बल दिया है ।
यह विचार संविधान दिवस के अवसर पर प्रस्तुत किया गया था। यह विचार 4 क्षेत्रीय NCA (प्रत्येक में 15 न्यायाधीश) की स्थापना करने के 11 वर्ष पुराने प्रस्ताव को पुनर्जीवित करने के लिए प्रस्तावित किया गया था।
इस विचार को स्वयं उच्चतम न्यायालय ने भी वर्ष 1986 में और विधि आयोग ने अपनी 229वीं रिपोर्ट में प्रस्तुत किया था।
प्रस्तावित NCA के बारे में
- NCA राज्य के उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के बीच मध्यवर्ती अपीलीय न्यायालयों के रूप में कार्य करेंगे।
- इनमें प्रत्येक में 15 न्यायाधीश होंगे।
- ये दीवानी, फौजदारी, श्रम और राजस्व मामलों में अपने क्षेत्र के उच्च न्यायालयों तथा अधिकरणों के निर्णयों के विरुद्ध की जाने वाली अपीलों से निपटने में न्याय के अंतिमन्यायालय के रूप में कार्य करेगा।
- ध्यातव्य है कि इन अपीलीय न्यायालयों के निर्णय अंतिम रूप से मान्य होंगे।
- हालांकि, NCA की स्थापना के लिए एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।
महत्व
- ये न्यायपालिका में लंबित मामलों की संख्या को कम करने में सहायक होंगे।
- वैवाहिक विवादों, किराया नियंत्रण के मामलों और अन्य मामलों का त्वरित निपटान संभव होगा, जो उच्चतम न्यायालय के समक्ष अवरोध उत्पन्न करते हैं।
- इससे उच्चतम न्यायालय केवल विधि, संदर्भ, मृत्युदंड आदि के मामलों के संवैधानिक प्रश्नों की व्याख्या पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
स्रोत – द हिन्दू