राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड योजना
हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड योजना’ / सॉवरेन गोल्डबॉन्ड स्कीम (Sovereign Gold Bond Scheme) 2021-22 छठवी श्रंखला की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत 30 अगस्त से 3 सितंबर, 2021 तक स्वर्ण बॉण्ड का सब्स्क्रिप्शन किया जा सकेगा।
‘सॉवरेन गोल्डबॉन्ड योजना’ के बारे में:
- भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में सॉवरेनगोल्ड बांडयोजना की शुरुआत की गई थी। सरकार ने स्वर्ण के आयात पर भारत की अधिक निर्भरता को कम करने में मदद करने हेतु इन बांडों को आरंभ किया था।
- इस योजना का उद्देश्य, अपनी बचत को ‘स्वर्ण के भौतिक रूप से जमा करने’ संबंधी भारतीयों की आदत को ‘सॉवरेन प्रतिभूति के दस्तावेजों’ में जमा करने की प्रवृत्ति में बदलना था।
मुख्य तथ्य :
- इस योजनाके लिए सॉवरेनगोल्ड बांड की बिक्री ‘निवासी भारतीय व्यक्तियों, हिंदू अविभक्त परिवार (HUFs), ट्रस्ट, विश्वविद्यालय, धर्मार्थ संस्थाओं आदि तक ही सीमित रहेगी।
- सॉवरेन गोल्डबांडों को एक ग्राम की मूल इकाई के साथ सोने के ‘ग्राम’ के गुणनखण्डों में मूल्यांकित किया जाएगा। इन बांडों की समयावधि आठ साल की होगी और 5 वर्ष के पश्चात इससे बाहर निकलने का विकल्प रहेगा, जिसका इस्तेमाल ब्याज भुगतान की तारीखों पर किया जा सकता है।
न्यूनतम और अधिकतम सीमा:
- बॉण्ड 1 ग्राम स्वर्ण के मूल्यवर्ग में तथा उसके गुणनखण्डों में होता है। निवेश की न्यूनतम सीमा 1 ग्राम तथा अधिकतम सीमा प्रति वर्ष (अप्रैल – मार्च) में प्रत्यके व्यक्ति या हिंदू अविभक्त परिवार के लिए चार किलोग्राम और ट्रस्ट तथा भारत सरकार द्वारा अधिसूचित समान संस्थाओं के लिए 20 किलोग्राम है।
- लेकिन यदि बॉण्डसंयुक्त रूप से खरीदे जाते हैं, तो अधिकतम चार किलोग्राम की सीमा पहले आवेदक पर ही लागू होगी। वार्षिक उच्चतम सीमा में सरकार द्वारा पहले विभिन्न श्रृंखलाओं में जारी बॉण्ड और माध्यमिक बाजार से खरीदे जाने वाले बॉण्डसम्मिलित होंगे। निवेश की सीमा में बैंक या वित्तीय संस्था द्वारा जमानत के रूप में धारित बॉण्ड को सम्मिलित नहीं किया जाएगा।
संपार्श्विक (Collateral): इन सभी प्रतिभूतियों का उपयोग बैंकों, वित्तीय संस्थानों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने के लिए जमानत यासंपार्श्विक (Collateral) के तौर पर किया जा सकता है। ऋण और मूल्य का अनुपात वही होगा जो सामान्यस्वर्ण ऋण के मामले में रिज़र्व बैंक के द्वारा समय-समय पर निर्देशित होता है।
स्रोत –द हिन्दू