राम प्रसाद बिस्मिल

राम प्रसाद बिस्मिल

हाल ही में, संस्कृति मंत्रालय द्वारा. स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में एक विशेष समारोह का आयोजन किया।

विदित हो कि पंडित रामप्रसादबिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुरजिले के मुरलीधर गाँव में हुआ था।

परिचय

  • इनका स्थान भारत के सबसे महान  स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है, जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय तक ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकतों का विरोध किया।
  • यह वर्ष 1875 में दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज में शामिल हुए। आर्य समाज का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने  साम्राज्यवादीताकतों के खिलाफ लड़ाई में कलम को भी एक हथियार के रूम में इस्तेमाल किया।
  • इनके मन में देश के लिए क्रांतिकारी विचारों ने तब बड़ा रूप लिया, जब  उन्होंने भारतीय राष्ट्रवादी और आर्य समाज मिशनरी ‘भाई परमानंद’ को दी गई मौत की सजा के बारे में पढ़ा।
  • इस समय वे मात्र 18 वर्ष के थे, और इस समय उन्होंने एक कविता ‘मेरा जन्म’ के माध्यम से अपनी पीड़ा को व्यक्त किया।
  • उनका मानना था कि, हिंसा और रक्तपात से ही स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की जा सकती है, इस तरह उनके विचार महात्मा गांधी के ‘अहिंसा’ के आदर्शों के विपरीत थे।

स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान

  • उन्होंने एक विद्यालय के शिक्षक ‘गेंदा लाल दीक्षित’ के साथ मिलकर ‘मातृवेदी’ नामक संगठन का निर्माण किया।
  • दोनों ही क्रांतिकारी विचारों को साझा करते थे, और देश के युवाओं को ब्रिटिश सरकार से लड़ने के लिये संगठित करना चाहते थे।
  • ये वर्ष 1918 के ‘मैनपुरीषडयंत्र’ में सम्मिलित थे| इस षडयंत्र में पुलिस ने बिस्मिल सहित कुछ अन्य युवाओं को ऐसी किताबें बेचते हुए दोषी करार दिया था , जो ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई थीं।
  • उन्होंने ‘देशवासियों के नाम’ शीर्षक से एक पैम्फलेट प्रकाशित किया, जिसमें उनकी कविता ‘मैनपुरी की प्रतिज्ञा’ भी सम्मिलित थी। इसी क्रम में वर्ष 1925 में राम प्रसाद बिस्मिल,चंद्रशेखर आजाद और अशफाकउल्ला खान ने लखनऊ के पास काकोरी में एक ट्रेन लूटी थी|
  • इसी काकोरीषडयंत्र मामले में HRA सदस्यों के साथ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, और मुकदमा चलाया गया। यह कानूनी प्रक्रिया 18 महीने तक चली। इसमें ‘बिस्मिल’, अशफाकउल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को मृत्यु दंड की सज़ा सुनाई गई,, और अन्य क्रांतिकारियों को उम्रकैद की सज़ा दी गई।
  • लखनऊ सेंट्रल जेल में राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा लिखी, जिसे हिंदी साहित्य में बेहतरीन कार्यों में से एक माना जाता है। 19 दिसंबर, 1927 को गोरखपुर जेल में उन्हें फाँसी दी गई।
  • राप्ती नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया, और बाद में इस स्थल का नाम बदलकर ‘राजघाट’ कर दिया गया।

हिंदुस्तान रिपब्लिकनएसोसिएशन(HRA)

  • ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकनएसोसिएशन’ की स्थापना वर्ष 1924 में हुई थी और इसका संविधान मुख्य रूप से बिस्मिल द्वारा ही तैयार किया गया था।
  • राम प्रसाद बिस्मिल, सचिंद्र नाथ सान्याल और जादूगोपालमुखर्जी ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकनएसोसिएशन’ के प्रमुख संस्थापक थे।

स्रोत – पी आई बी

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course