भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) को राजस्थान में लिथियम के भंडार मिले
हाल ही में राजस्थान के नागौर जिले की डेगाना नगरपालिका में लिथियम के एक और बड़े भंडार की पहचान की गई है।
इस भंडार में जम्मू-कश्मीर में पहले पाए गए 5.9 मिलियन टन से काफी अधिक मात्रा में लिथियम है।
कथित तौर पर, राजस्थान में पाई गई लिथियम की मात्रा देश की लगभग 80 प्रतिशत मांग और आवश्यकता को पूरा कर सकती है।
लिथियम के बारे में
- लिथियम एक अलौह धातु है । यह आवर्त सारणी में पहली क्षारीय धातु है । इसका मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य में चार्ज करने योग्य बैटरी बनाने के लिए उपयोग किया जाता है ।
- इसे ब्राइन( लवणीय जल ) अथवा खनन की गई चट्टानों से निकाला जाता है।
- दुनिया भर में लिथियम की अत्यधिक मांग है। इसके कारण इसे ‘सफेद सोना’ भी कहा जाता है ।
- विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम धातु की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
- वैश्विक लिथियम संसाधन का 50 प्रतिशत बोलीविया (अधिकतम), चिली और अर्जेंटीना में है । दक्षिण अमेरिका के ये तीन देश लिथियम ट्रायंगल कहलाते हैं।
- लिथियम उत्पादन में ऑस्ट्रेलिया विश्व में अग्रणी है। भारत ने कर्नाटक के मांड्या ज़िले के मारलागल्ला-अल्लापटना क्षेत्र में मौजूद आग्नेय चट्टानों में अपने प्रथम लिथियम भंडार की खोज की है।
लिथियम के गुण –
- यह नरम व चमकदार धूसर धातु भूपर्पटी में पाई जाती है।
- सभी धातुओं में इसका सबसे कम घनत्व है ।
- जल के साथ गहन तरीके से अभिक्रिया करती है ।
- यह प्रकृति में धातु के रूप में नहीं पाया जाता है।
- स्पोड्यूमिन, पेटालाइट, लेपिडोइट और एम्ब्लीगोनाइट लिथियम युक्त महत्वपूर्ण खनिज हैं।
GSI के बारे में
GSI, खान मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय है । GSI की स्थापना 1851 में की गई थी। इसे प्रारंभ में रेलवे के लिए कोयले के भंडार का पता लगाने हेतु स्थापित किया गया था । इसका मुख्यालय कोलकाता में है । देश भर में इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय हैं। यह भू-वैज्ञानिक गतिविधियों को संपन्न करने वाला भारत का वैज्ञानिक संगठन है ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस