राजस्थान में कानूनी रूप से रेत खनन को मंजूरी
हाल ही में उच्चतम न्यायालय (SC) ने 4 वर्ष बाद राजस्थान में कानूनी रूप से रेत खनन (sand mining) को मंजूरी प्रदान की है।
- उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान में नदी-तल से खनन को मंजूरी प्रदान कर दी है। साथ ही, इस मामले को देखने के लिए गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (central empowered committee: CEC) द्वारा की गई सिफारिशों को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।
- अपने निर्णय में, न्यायालय ने खातेदारी पट्टों (कृषि भूमि पर रेत खनन पट्टे) को समाप्त करने की CEC की एक अन्य सिफारिश को भी स्वीकृति प्रदान की है। ये पट्टे नदी-तलसे 5 कि.मी. के दायरे अंतर्गत स्थित हैं।
- इससे पहले, वर्ष 2017 में राजस्थान में वैध खनन को पर्यावरणीय मंजूरी के अभाव औरएक वैज्ञानिक पुनःपूर्ति अध्ययन के कारण SC ने प्रतिबंधित कर दिया था।
निर्णय का महत्व
- अवैध रेत खनन पर अप्रत्यक्ष रूप से रोक लगाना और कानून व्यवस्था में सुधार लाना।
- उपभोक्ताओं के लिए बेहतर मूल्य की प्राप्ति सुनिश्चित करना।
- राज्य को रॉयल्टी प्राप्त करने में मदद करना।
अवैध रेत खनन के कारणों में शामिल हैं
- आपूर्ति और मांग में असंतुलन,
- अप्रभावी नीतियां और खराब निगरानी व्यवस्था,
- खनन कंपनियों के बीच गठजोड़,
- नौकरशाही और कानून प्रवर्तन एजेंसियांदोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं करती हैं आदि।
अवैध रेत खनन का प्रतिकूल प्रभावः
नदी का तल अस्थिर होना, एवं नदी प्रणाली पर निर्भर जीवों के प्राकृतिक पर्यावासों का विनाश।
स्रोत – द हिन्दू