राखीगढ़ी से तांबे और सोने के आभूषण के साक्ष्य हुए प्राप्त
हाल ही में राखीगढ़ी (हरियाणा) में उत्खनन से जल निकासी व्यवस्था, तांबे और सोने के आभूषण के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ।
राखीगढ़ी का पहली बार उत्खनन वर्ष 1998-2001 में किया गया था। यह स्थल दृषद्वती नदी के सूख चुके प्राचीन मार्ग के दाहिने तट पर स्थित है। यहां से सात टीले प्राप्त हुए हैं।
राखीगढ़ी से प्राप्त मुख्य पुरावशेष
- एक कुलीन बस्ती प्राप्त हुई है। इसके अतिरिक्त, तांबे व सोने के आभूषणों के टुकड़े, टेराकोटा के खिलौने, हजारों मिट्टी के बर्तन, मुहरें आदि प्राप्त हुए हैं।
- दो महिलाओं के कंकाल प्राप्त हुए हैं, जिन्हें लगभग 5,000 वर्ष पुराना माना जा रहा है। इन कंकालों को डी.एन.ए. जांच के लिए भेजा जाएगा।
राखीगढ़ी के बारे में–
- यह हड़प्पा सभ्यता के पांच ज्ञात सबसे बड़े नगरों में से एक है।
- इस स्थल का उत्खनन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अमरेंद्र नाथ के निर्देशन में हुआ था।
- यहां से हड़प्पा के विकसित चरण के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इन साक्ष्यों में कच्ची मिट्टी की ईंटों के साथ-साथ पकायी गयी ईंटों से बने घर, योजनाबद्ध नगर, उचित जल निकासी व्यवस्था आदि शामिल हैं।
- चीनी मिट्टी (सिरेमिक) के पात्र बनाने वाले उद्योग के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यहां से लाल मृदभांड भी मिले हैं। पशु बलि के लिए मिट्टी की ईंट से बने कुंड भी प्राप्त हुए हैं। इनके अलावा, त्रिकोणीय और गोलाकार अग्निवेदिकाएं भी मिली हैं।
- एक बेलनाकार मुहर प्राप्त हुई है। इसमें एक तरफ हड़प्पा में प्रयुक्त पांच वर्ण और दूसरी तरफ एक घड़ियाल (एलीगेटर) का चिन्ह मुद्रित है।
- इसके अलावा शवाधान के कुछ साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं, जो निश्चित रूप से बहुत बाद के चरण से संबंधित हैं। ये मध्यकाल के हो सकते हैं।
- बजट 2020 में संग्रहालयों से युक्त पांच प्रतिष्ठित (iconic) पुरातात्विक स्थलों को विकसित करने की योजना की घोषणा की गयी थी। हिसार के राखीगढ़ी में उत्खनन इसी योजना का एक हिस्सा है।
स्रोत –द हिन्दू