भारत में राइस फोर्टिफिकेशन से लाभ
हाल ही में भारत में राइस फोर्टिफिकेशन की प्रायोगिक परियोजना से एनीमिया (रक्ताल्पता) के मामलों में कमी आई है।
- संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में राइस फोर्टिफिकेशन के लिए चलाई गई प्रायोगिक परियोजना से स्कूली बच्चों में एनीमिया के प्रसार में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
- देश के अलग-अलग हिस्सों में चार व्यापक पायलट परियोजनाओं की शुरुआत की गई थी। इनमें में से तीन स्कूल मध्याह्न भोजन से संबंधित थी तथा एक समेकित बाल विकास योजना से संबंधित थी ।
- प्रायोगिक परियोजनाओं की सफलता और व्यवहार्यता को देखने के बाद, 2021 में सरकार ने घोषणा की थी कि 2024 से खाद्य आधारित सामाजिक सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से वितरित सभी चावल फोर्टिफाइड होंगे।
- फोर्टिफिकेशन के तहत खाद्य या पूरक आहार में एक या अधिक सूक्ष्म पोषक तत्वों (विटामिन और खनिज तत्व) को कृत्रिम रूप से मिश्रित किया जाता है। यह खाद्य आपूर्ति की पोषण गुणवत्ता में सुधार करने के लिए किया जाता है।
- फूड फोर्टिफिकेशन को खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य फोर्टिफिकेशन) विनियम, 2018 के तहत विनियमित किया जाता है।
- राइस फोर्टिफिकेशन के तहत चावल में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए इसमें आयरन, विटामिन B12 और फोलिक एसिड जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं।
राइस फोर्टिफिकेशन के लाभ
- इससे लागत प्रभावी तरीके से कुपोषण और एनीमिया को कम करने में मदद मिलती है। ध्यातव्य है कि कुपोषण की वजह से लोगों की उत्पादक कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है तथा बीमारी और मृत्यु के मामले बढ़ जाते हैं। इससे भारत को प्रतिवर्ष कम से कम 77,000करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
- यह क्रेटिनिज्म (बौनापन और मंद बुद्धि), घेंघा (गोइटर), थायरोटॉक्सिकोसिस, ब्रेन डैमेज आदि को रोकने में सहायक है। इनके अलावा, यह भ्रूण तथा नवजात के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
भारत में राइस फोर्टिफिकेशन
- सामान्य खाए जाने वाले चावल में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाने के लिए डस्टिंग, कोटिंग और एक्सट्रूज़न जैसी विविध प्रौद्योगिकियां उपलब्ध हैं।
- भारत में चावल को एक्सट्रूज़न तकनीक का उपयोग करके सुदृढ़ीकृत किया जाता है। इस तकनीक में, पिसे हुए चावल को चूर्णित किया जाता है तथा विटामिन और खनिजों वाले पूर्व मिश्रण के साथ मिलाया जाता है।
स्रोत – द इकोनॉमिक्स टाइम्स