रवांडा हरित जलवायु कोष (GCF) की 35वीं बैठक की मेजबानी करेगा
हाल ही में रवांडा को GCF बोर्ड की 35वीं बैठक (B.35) के मेजबान देश के रूप में चुना गया है। हालांकि, यह बैठक रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित होगी।
GCF बोर्ड आम तौर पर प्रति वर्ष तीन बैठकें आयोजित करता है। GCF बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय है । यह कन्वेंशन के पक्षकारों के सम्मेलन (COP) द्वारा निर्देशित होता है।
इस बैठक में 300 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं । इनमें राष्ट्रीय पदनामित प्राधिकरण (NDA), मान्यता प्राप्त संस्थाएं और ऐसे अन्य भागीदार शामिल होते हैं, जो विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने सहायता करते हैं ।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत की ओर से NDA है ।
प्रत्यक्ष पहुंच वाली मान्यता प्राप्त संस्थाएं: IDFC बैंक, यस बैंक, नाबार्ड (NABARD), सिडबी (SIDBI), IESIL (IL-FS एनवायरनमेंटल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज लिमिटेड) आदि ।
GCF की स्थापना 2010 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत की गई थी।
इसका उद्देश्य विकासशील देशों को उनके ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के प्रति अनुकूल बनाने में मदद करना है ।
यह 24 सदस्यीय बोर्ड द्वारा शासित होता है। इसका सचिवालय दक्षिण कोरिया के इंचियोन के सोंगडो में स्थित है।
GCF की मुख्य विशेषताएं
यह राष्ट्र – संचालित दृष्टिकोण पर आधारित है। इसका अर्थ है कि विकासशील देश GCF प्रोग्रामिंग और कार्यान्वयन का नेतृत्व करते हैं ।
यह संतुलित आवंटन पर आधारित है। इसका आशय है। कि GCF को अपने संसाधनों का समान रूप से, 50 प्रतिशत उपशमन गतिविधियों में और 50 प्रतिशत अनुकूलन में निवेश करना अनिवार्य है।
यह अनुदान, रियायती ऋण गारंटी या इक्विटी लिखत के लचीले संयोजन के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
स्रोत – द हिन्दू