वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का रक्षा निर्यात 13000 करोड़ रुपए
हाल ही में भारत के रक्षा निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में 54.1% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है। यह निर्यात 13000 करोड़ रुपए के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
इस निर्यात में निजी क्षेत्र का हिस्सा 70% था। शेष योगदान सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का था। इससे पहले, निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 90% थी।
निर्यात गंतव्य में शामिल हैं: संयक्त राज्य अमेरिका, फिलीपींस तथा दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के अन्य देश।
प्रमुख निर्यात मदों में शामिल थीं: फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल, अमेरिका के अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी फ्यूजलेज (विमान का ढांचा)की आपूर्ति।
भारत का हल्का युद्धक विमान (LCA) तेजस मलेशिया के लड़ाकू जेट खरीद ऑर्डर में सर्वोच्च प्राथमिकता सूची में है ।
सरकार भारत में स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। इनमें ‘मेक इन इंडिया’ के लिए अन्य देशों के साथ सहयोगात्मक प्रयास भी शामिल हैं।
भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 25 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा-कारोबार हासिल करना है। इसमें एयरोस्पेस और रक्षा सामग्रियों एवं सेवाओं में 5 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य भी शामिल है।
प्रमुख पहलें–
- उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना की जा रही है।
- रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) पहल आरंभ की गयी है।
- रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 है घोषित की गयी है।
- मिशन रक्षा ज्ञान शक्तिः स्वदेशी रक्षा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकार संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यह पहल आरंभ की गयी है।
स्रोत –द हिन्दू