रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

रक्षा मंत्रालय (MoD) ने रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची को अधिसूचित किया है।

किसी उत्पाद को स्वदेशी प्रणाली के अंतर्गत माने जाने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इन मानकों के अनुसार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची की वस्तुओं में भारतीय रक्षा उद्योग या रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के डिजाइन और विकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग होना चाहिए। साथ ही, उन वस्तुओं में 50% स्त्रोत स्वदेशी सामग्री भी होनी चाहिए।

सैन्य मामलों के विभाग ने हथियारों / प्लेटफॉर्स / प्रणालियों / गोला-बारूद आदि की दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची पहले ही अधिसूचित कर दी है।

महत्व:

  • सशस्त्र बलों की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मजबूत अनुसंधान और विकास सुविधाओं, योग्यताओं एवं क्षमताओं का निर्माण करना।
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) के साथ-साथ ‘स्टार्टअप्स’ के लिए भी रक्षा विनिर्माण में आने का अवसर उपलब्ध होगा।
  • प्रत्येक वर्ष लगभग 3,000 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
  • रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण के लिए आरंभ की गई नीतिगत पहले – रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP), 20201
  • पूंजीगत उपकरणों की खरीद के लिए खरीदें भारतीय-IDDM (स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित)] श्रेणी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
  • रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में स्वचालित मार्ग से 74% तक और सरकारी मार्ग द्वारा 100% तक वृद्धि की गई है।
  • रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) को शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य MSMEs, स्टार्टअप्स आदि सहित संबंधित उद्योगों को शामिल करना है।

स्रोत – द हिन्दू

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