रक्तचंदन/लाल चंदन

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रक्तचंदन/लाल चंदन

रक्तचंदन/लाल चंदन (Red Sanders/Red Sandalwood) अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की एंडेंजर्ड (लुप्तप्राय) श्रेणी में फिर से शामिल हो गया है

रक्तचंदन अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट की ‘एंडेंजर्ड’ श्रेणी में फिर से शामिल हो गया है।

वर्ष 2018 में, इसे “एंडेंजर्ड” (वर्ष 1997 में वर्गीकृत) से “नियरथेटंड”के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

रक्तचंदन के बारे में (वनस्पति विज्ञान में नामःटेरोकार्पससैंटालिनस)

  • यह चंदन की एक गैर-सुगंधित किस्म है। यह ज्यादातर चट्टानी व पहाड़ी क्षेत्रों में उगती है।
  • इसे स्थानीय रूप से येर्राचंदनम एवं रक्त चंदनम के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह भारत के लिए एक देशज और स्थानिक प्रजाति है। यह केवल पूर्वी घाट के दक्षिणी भागों में पायाजाता है।

आवश्यक भौगोलिक स्थिति:

मिट्टी:लैटेराइट और बजरी युक्त मृदा। यह जलभराव की स्थिति में नहीं उग सकता।

जलवायुः गर्म और शुष्कवर्षाः 500-800 मि.मी।

महत्व:

औषधीय लाभ :

  • सिरदर्द, त्वचा रोग आदि में बाहरी रूप से लगाने पर यह लकड़ी शीतलन प्रभाव उत्पन्न करती है।
  • संगीत वाद्ययंत्र और लक्जरीफर्नीचर के लिए यह एक उपयुक्त कच्चा माल है।
  • यह सैंटेलाइनडाई उत्पन्न करता है। इसका उपयोग खाद्य पदार्थों को रंग प्रदान करने में किया जाता है।

संभावित खतरेः

वनाग्नि की घटनाओं की बारंबारता, अवैध व्यापार/कटाई, आक्रामक प्रजातियों का प्रकोप, निरंतर कटाई के कारण प्राकृतिक रूप से वृद्धि करने हेतु प्रजातियों के पास पर्याप्त समय नहीं होना आदि।

संरक्षणः

वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के परिशिष्ट II,तथा वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 6 में सूचीबद्ध (खेती एवं रोपण के लिए प्रतिबंधित है)।

स्रोत –द हिन्दू

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